सुरेंद्र जैन धरसींवा
तीन दिन तीन रात खाने को न चारा न भूसा न पीने को पानी न बारिस से बचने छत न ही बैठने सूखी जमीन ऐंसे हालात के बीच कांजी हाउस में लगभग सौ गौवंश बन्द रहे हालांकि समय रहते गौसेवकों के सक्रिय होने से उन्हें निकाल तो दिया लेकिन इन तीन दिनों में यदि गौवंश की भूख से मौत होती तो जिम्मेदार कौन होता यह बड़ा सवाल उठने लगा है।
यह पूरा मामला है तिल्दा के निनवा गांव का।फसलों को गौवंश से बचाने गांव की सड़कों पर घूमने वाले ग्रामीणों के करीब सौ गौवंश को तीन दिन पहले ग्राम पंचायत ने कांजी हाउस मे रखा लेकिन उन गौवंश को न तो पीने को पानी रखा न ही उन्हें खाने चारा या भूसा डाला गया जिसके चलते वह भूख से तड़प रही थी.
श्रीराम गौसेवा संगठन से जुड़े गौसेवको को जैंसे ही इसकी खबर लगी उन्होंने एसडीएम तिल्दा को अवगत कराया तब शुक्रवार की शाम पशु चिकित्सक निनवा पहुँचे मौके पर कांजी हाउस के अंदर कीचड़ ओर पानी भरा था गौवंश को बैठने सूखी जमीन तक नहीं थी.अंततः सारे गौवंश को कांजी हाउस से छोड़ा गया.एसडीएम तिल्दा से उनके नम्बर पर संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि पशु चिकिस्को को मौके पर भेजकर गौवंश के चारा पानी की व्यवस्था कराई गई सभी गौवंश गांव के लोगो के ही हैं सभी गौवंश मालिको की सहमति से ही उन्हें एक जगह रखा गया था सूचना पर सभी को छुड़वा दिया है जिनके गौवंश हैं वह खुद अपने गौवंश को रखेंगे।
ये केंसी निर्दयता
इस संबन्ध में सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मी वर्मा से उनके मोबाइल पर संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि प्रति एकड़ पचास रुपये के हिसाब से किसान गौवंश के दाना पानी को देंगे यह तय हुआ और गौवंश को रखा गया लेकिन किसी ने पैसे नहीं दिए उनसे जितना हो सका उतना चारा उन्होंने गौवंश को दिया.
इधर एसडीएम प्रकाश टण्डन ने कहा कि गांव के लोगो ने ही अपनी व्यवस्था के तहत गौवंश को रखा था सूचना मिलने पर पशु चिकित्सको की टीम भेजकर गौवंश को वहां से छुड़वा दिया है.
पशु चिकिसक ने बताया कि गौवंश कीचड़ पानी मे था चारा भी नहीं था हालांकि गौवंश स्वस्थ्य पाए गए सभी गौवंश मालिको से उनके गौवंश की सेवा स्वयं करने बोला गया है.अब सवाल यह उठता है कि सौ से अधिक गौवंश को जिस तरह रखा गया उससे यदि कोई अनहोनी होती तो जिम्मेदार कौन होता ओर क्या इस तरह गौवंश को रखना चाहिए