Let’s travel together.

संभल: कल्कि धाम की पोटली में बंधे भाजपा की सियासी विजय के चावल-अजय बोकिल

0 38

आलेख
अजय बोकिल

कहा जा रहा है कि अयोध्या में राम लला के मंदिर के बाद यह दूसरा आध्यात्मिक धार्मिक स्थल है, जिसकी आधार शिला प्रधानमंत्री ने रखी। इस अवसर पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का एक और क्षण है। उन्होंने कहा कि भगवान कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रेरणा स्रोत हैं।

भगवान विष्णु के दो अवतारों राम और कृष्ण के साथ अब दसवें और अंतिम अवतार कल्कि के रूप में उत्तर प्रदेश में भाजपा का नया चुनावी दांव है। सनातन धर्म में विष्णु के दस अवतारो में सबसे कम चर्चित शायद भगवान कल्कि ही हैं, क्योंकि उनका अवतार दरअसल भविष्य की कल्पना है, लेकिन यूपी की मुस्लिम बहुत संभल लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा कल्कि धाम के सहारे भगवा फहराने का अरमान पाले है। इस अरमान के सारथी बने हैं कुछ ही दिन पहले कांग्रेस से भाजपा में आए संत राजेनता आचार्य प्रमोद कृष्णम्। प्रमोद कृष्णम् यहां भगवान कल्कि का भव्य मंदिर बनवा रहे हैं, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया।

कहा जा रहा है कि अयोध्या में राम लला के मंदिर के बाद यह दूसरा आध्यात्मिक धार्मिक स्थल है, जिसकी आधार शिला प्रधानमंत्री ने रखी। इस अवसर पर मोदी ने अपने भाषण में कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक नवजागरण का एक और क्षण है। उन्होंने कहा कि भगवान कल्कि कालचक्र के परिवर्तन के प्रेरणा स्रोत हैं।

शायद इसलिए कल्कि धाम एक ऐसा धाम होने जा रहा है जो उन भगवान को समर्पित है जिनका अभी अवतार होना बाकी है। हजारों वर्ष की आस्था के लिए अभी से उसकी तैयारी यानी हम लोग भविष्य को लेकर कितने तैयार होकर रहने वाले लोग हैं। प्रमोद जी को कल्कि मंदिर के लिए काफी लड़ाई लड़नी पड़ी। कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े। कहा गया कि मंदिर बनाने से शांति व्यवस्था बिगड़ जाएगी। आज हमारी सरकार में प्रमोद कृष्णम जी निश्चिंत होकर इस काम को शुरू कर पाए हैं।

मंदिर शिलान्यास के मौके पर भी प्रधानमंत्री राजनीतिक कटाक्ष करने से नहीं चूके। उन्होंने प्रमोद कृष्णम् के स्वागत भाषण का हवाला देते हुए कहा कि अच्छा हुआ आपने कुछ दिया नहीं। वरना जमाना इतना बदल गया है कि आज के युग में सुदामा श्री कृष्ण को एक पोटली में चावल देते तो वीडियो निकल जाता, सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल लग जाती और जजमेंट आता कि भगवान कृष्ण को भ्रष्टाचार में कुछ दिया गया और भगवान कृष्ण भ्रष्टाचार कर रहे थे। इसमें हम क्यों फंसें। प्रधानमंत्री ने जो कहा उसका राजनीतिक आशय यही है कि कल्कि मंदिर की पोटली में भाजपा की राजनीतिक विजय के चावल बंधे हुए हैं।

पहले भगवान कल्कि की बात

गरूड पुराण के अनुसार कल्कि भगवान विष्णु के दसवे और अंतिम अवतार माने गए हैं, जिनका अवतरण कलियुग के अंतिम चरण में होना है। उनका अवतरण भले ही भविष्य में होना है, लेकिन उनकी जीवन कुंडली पुराणों में पहले से अतीत की तरह वर्णित है। कल्कि पुराण के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म उत्तर भारत के संभल ग्राम में एक ब्राह्मण परिवार में पिता विष्णुयशस व माता सुमति के यहां हुआ।

कल्कि सफेद घोड़े पर सवार होकर और हाथ में तलवार लिए अवतरित होंगे और पृथ्वी पर अधर्म का नाश करेंगे। उनके अवतरण पर कलियुग का समापन और सतयुग का नवारंभ होगा। यानी कि एक कालचक्र पूर्ण होगा। भगवान कल्कि की दो पत्नियां पद्मावती और रमा है। इनमें से पद्मावती से उन्हें दो पुत्र जय और विजय हैं। ये जय और विजय वही हैं, जो वैष्णव सम्प्रदाय के हर मंिदर के प्रवेश द्वार पर प्रहरी के रूप में चित्रित होते हैं। दूसरी पत्नी रमा से उन्हें पुत्री मेघमाला और पुत्र बलाहक की प्राप्ति होती है।

कल्कि अवतार का उल्लेख केवल हिंदू धर्मग्रंथों में ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के ग्रंथों में भी है। तिब्बती बौद्ध धर्म के कालचक्र तंत्र में कल्कि का उल्लेख है। इसमे कई कल्कियों का जिक्र है। अंतिम कल्कि को रूद्र कर्किन कहा गया है जो बौद्ध और हिंदू सैनिको के साथ मिलकर अनार्यों का संहार करते हैं।

सिख धर्म के ‘दशम ग्रंथ’ में कल्कि को 24 वां अवतार बताया गया है जो धर्म के लिए लड़ता है और अधर्म का नाश करता है। ‘महाभारत’ में एक जगह कल्कि को विष्णु के परशुराम अवतार का ही विस्तार बताया गया है। कुछ विद्वानो का मानना है कि पुराणों में कल्कि अवतार की संकल्पना भारत पर विदेशी और विधर्मी जातियों के हमलों के बाद की गई।

इस्लाम के अहमदिया सम्प्रदाय ( जो पाकिस्तान में गैर मुस्लिम घोषित है तथा जिस पर हज यात्रा करने पर प्रतिबंध है) के संस्थापक मिर्जा गुलाम अहमद ने दावा किया था कि वो कल्कि के अवतार हैं, जिन्हें मेहदी कहा गया। इसी तरह बहाई धर्म ( ईरान में प्रतिबंधित) में कल्कि को ईश्वर का दूत माना गया है।

भव्य होगा मंदिर

इस कल्कि मंदिर का निर्माण 11 फीट ऊंचे चबूतरे पर होगा और इसके शिखर की ऊंचाई 108 फीट होगी। मंदिर में 68 तीर्थों की स्थापना होगी। मंदिर पत्थरों से ही बनेगा। ये गुलाबी पत्थर राजस्थान के भरतपुर जिले में स्थित बंशी पहाड़पुर से लाए जाएंगे। मंदिर में भगवान विष्णु के 10 अवतारों के लिए दस अलग-अलग गर्भगृह बनाए जाएंगे। पूरा मंदिर पांच एकड़ में पांच वर्ष में बनकर तैयार होगा। वैसे विष्णु का दसवां अवतार होने के बाद भी देश में कल्कि के मंदिर नाम मात्र को हैं। उनका एक प्राचीन मंदिर जयपुर में है।

कब लेंगे अवतार कल्कि

इसके अनुसार 4320 वीं शती में कलियुग के अन्त समय कल्कि अवतार लेंगें। वे जन्म से ही 64 कलाओ से युक्त होंगे। यह सन 2585 ई में ही यह संभव होगा, जब गुरु व शनि अपनी उच्च राशियों में एक ही साथ हो।

विष्णु पुराण के अनुसार हिंदू धर्म में कलियुग को 4 लाख 32 हजार सौर वर्ष का बताया गया है। अगर कलियुग समय की आधुनिक गणना की जाए तो इसकी शुरुआत 3120 ईसा पूर्व हुई थी, जब मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि पांच ग्रह मेष राशि पर 0 डिग्री पर थे। कलियुग की इस महाअवधि में से अब तक (3102+2023) यानी 5125 साल बीत चुके हैं। 4 लाख 26 हजार 875 वर्ष अभी बाकी हैं। वर्तमान समय कलियुग का प्रथम चरण है। इसका अर्थ यह है कि कल्कि का मंदिर भले ही अभी बन रहा हो, लेकिन उनका पृथ्वी पर अवतरण सवा 4 लाख साल बाद होगा।

राजनीतिक गणित

यहां तर्क दिया जा सकता है कि कल्कि धाम करोड़ों हिंदुओं की आस्था का विषय है और इसे राजनीतिक आख्यान के संदर्भ में ही नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि भगवान कल्कि का जन्म जब होगा, तब मानव सभ्यता किस दौर में होगी, होगी भी या नहीं, हमारी पृथ्वी भी कायम रहेगी अथवा नहीं, यह कहना अभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी बताना मुश्किल है। लेकिन वर्तमान राजनीतिक संदर्भ में भाजपा के लिए धार्मिक आस्था के साथ उसका राजनीतिक महत्व जरूर है और भगवान कल्कि कम से कम संभल सीट भाजपा को जिताने में मदद कर सकते हैं।

हालांकि, जातीय समीकरण को देखते हुए उसे कल्कि मंदिर का कोई खास लाभ होता नहीं दिखता। क्योंकि कल्कि देवता ब्राह्मण जाति से हैं। भगवान राम की तरह क्षत्रिय या कृष्ण की तरह यादव नहीं। वैसे संभल सीट ज्यादातर सपा के पास ही रही है, क्योंकि इस सीट पर मुस्लिम 55, यादव 10 फीसदी और दलित वोट 17.45 फीसदी हैं। यहां सीधा हिंदू-मुसलमान ध्रुवीकरण भाजपा को नहीं जिता सकता। होता। मुस्लिम वोटों के विभाजन पर ही भाजपा की जीत का गणित टिका है।

सपा ने इस बार फिर जिन शफीकुर्रहमान को टिकट दिया है, वो 94 साल के हैं और अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं, इससे वहां के दूसरे मुस्लिम नेता भी खफा है। 2019 में यहां से सपा के डॉ. शफीकुर्रहमान अपने निकटतम भाजपा प्रत्याशी परमेश्वरलाल सैनी को पौने 2 लाख वोटों से हराकर जीते थे। उस चुनाव में सपा- बसपा का गठबंधन था। इसलिए मुस्लिम वोटों का विभाजन नहीं हुआ। लेकिन यही शफीकुर्रहमान 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सत्यपाल सैनी से मात्र 5 हजार वोटों से हार गए थे।

तब बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी ने 23.9 फीसदी वोट काट लिए थे। उसी चुनाव में कांग्रेस के आचार्य प्रमोद कृष्णम 1.5 फीसदी वोट लेकर पांचवे नंबर पर रहे थे। इस बार बसपा द्वारा अलग चुनाव लड़ने की घोषणा से भाजपा प्रत्याशी के फिर से जीतने की स्थिति बन सकती है। चूंकि भाजपा ने यूपी की सभी 80 सीटों पर जीतने का प्लान बनाया है, इसलिए मुमकिन है कि वह संभल से आचार्य प्रमोद कृष्णम को ही टिकट दे दे।

लेखक प्रदेश के ख्यात वरिष्ठ पत्रकार हें

Leave A Reply

Your email address will not be published.

दीवानगंज पुलिस और ग्रामीणों द्वारा रेडियम पट्टी ट्रालियों पर लगाई गई     |     जान जोखिम में डाल रेल की पटरिया पार कर लाते हे पीने के लिए पानी     |     डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने पेश की मानवता की मिशाल     |     नहीं थम रहा सडको पर वाटर प्लांट कंपनी का गढ्ढे खोदने का कार्य,हो सकती बडी दुर्घटना     |     खबर का असर::नगर परिषद अध्यक्ष ने जलवाये नगर में अलाव     |     सहारा के रसूख के आगे भारत सरकार व उसकी सरकारी जांच एजेंसी फैल     |     अतिथि विद्वान महासंघ की अपील,विधानसभा में विद्वानों के स्थाईत्व पर हो निर्णय     |     प्रदेश सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर पूर्व मंत्री एवं दमोह विधायक जयंत मलैया ने पत्रकार वार्ता में बताए असरदार फैसले     |     नगर एवं ग्राम रक्षा समिति सदस्यों का एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न     |     3: 50 किलोमीटर दीवानगंज की सड़क पर ठेकेदार ने डामरीकरण का कार्य किया चालू     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811