– मनोसामाजिक कार्यकर्ता ने दिए बच्चों को तनावमुक्त रहने के टिप्स
रंजीत गुप्ता शिवपुरी
शिवपुरी स्थित शासकीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया मेडिकल कॉलेज में पदस्थ मनोसामाजिक कार्यकर्ता दिव्या अग्रवाल ने वर्तमान में चल रही परीक्षाओं में बच्चे तनावमुक्त रहे इसको लेकर कुछ परामर्श बच्चों के लिए जारी किया है। मनोसामाजिक कार्यकर्ता दिव्या अग्रवाल ने बताया कि परीक्षा तीन अक्षर का ये छोटा सा शब्द हमारे लिए उतना भी छोटा नहीं हो पाता क्योकि इसके अंदर समाई है पूरे साल की मेहनत, लगन, अधूरी नींद, सपने, और हमारी उन्नति भी। तो फिर इस शब्द से थोड़ा सा डर लगना तो स्वभाविक ही है। डर लगना भी चाहिए क्योंकि ये ही डर हमें और हमारे मस्तिष्क को तैयार करता है पढ़ाई पर एकाग्रचित्त होने के लिये।
बोर्ड शब्द का भय अपने मन से हटाएँ –
अपने परामर्श में मनोसामाजिक कार्यकर्ता दिव्या अग्रवाल ने बताया कि साथियों, मनोविज्ञान की दुनिया में थोड़े बहुत तनाव को ज़रूरी भी माना गया है क्योंकि यही तनाव हमें ज़िम्मेदार बनाता है, कार्य को सही समय पर पूरा करने के लिए बाध्य भी करता है। लेकिन जब ये तनाव इतना बढ़ जाये की हम बहुत अधिक परेशान रहने लगें, ठीक से सो भी नहीं पाएं, घबराहट, बेचैनी बढ़ जाये, बात बात पर गुस्सा आने लगे, हमेशा एक चिंता से बानी रहे और आगे बढ़ें तो कुछ शारीरिक लक्षण भी प्रकट होने लगें जैसे पसीना आना, बी पी बढ़ जाना, भूख अधिक या बिलकुल न लगना, सर में दर्द, माइग्रेन जैसी शिकायत होना आदि तो ये तनाव सही नहीं है दोस्तों और हमें ज़रूरत है किसी ऐसे व्यक्ति, दोस्त या मानसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता की जो हमारी समस्या को भलीभांति समझ कर उसका निदान करने में हमारी मदद कर सके। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव को सही दिशा देने की तो मध्य प्रदेश बोर्ड की 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा शुरू हो चुकी है और सीबीएससी की बोर्ड परीक्षा भी शुरू है रही है तो सबसे पहले तो करना ये है की हम इस बोर्ड शब्द का भय अपने मन से हटाएँ । परीक्षा, परीक्षा होती है । बोर्ड हो या न हो अगर हमारी तैयारी ठीक- ठाक है तो हर परीक्षा में हम कुछ तो अच्छा कर ही जायेंगे और साथ में याद रखेंगे निम्न लिखित बातें भी और भी ज़्यादा आप खुद को बेहतर रख पाएंगे ।
इन बातों को जानो-
सबसे पहले तो अपनी क्षमता का आकलन करें, किसी और के ज़्यादा नंबर आये हैं तो मेरे भी आने चाहिए इस बात की तुलना अपने भीतर से बाहर निकाले। अब खुद की क्षमता के अनुसार ही अपने पढ़ने के घंटे निश्चित करे। अपने हर विषय के पूरे पाठ्यक्रम ( सिलेबस) को बाँट कर ये जान लें की आप अपनी क्षमतानुसार एक दिन में कितना पाठ्यक्रम पूरा कर सकते हैं। जितना विषय आप पूरा करते जायेंगे उतना ही संतोष आप महसूस करेंगे तो अपनी समयबद्धता को सुनिश्चित करें और फ़िलहाल सोशल मीडिया से दूर रहें। बीच- बीच में पढ़ाई से ब्रेक ज़रूर लें,अपने खान -पान और पोषण का पूरा ध्यान रखें। खानपान का विशेष ध्यान रखें। थोड़ी बहुत देर के लिए प्राणायाम और व्यायाम का समय भी निश्चित करें। अपनी तैयारी पर भरोसा रखे। सबसे महत्वपूर्ण बात, अगर किसी वजह से आपका पेपर अच्छा नहीं भी जाता तो थोड़ी देर के लिए मूड अवश्य ख़राब होगा लेकिन तुरंत ही उस स्थिति से बाहर निकलें और ये सोचें कि मैंने अपना सबसे अच्छा प्रयास तो किया अब नंबर जो भी आएं मैं अपने मन को ख़राब नहीं करूँगा।
पहला लक्ष्य एक खुशनुमा इंसान बनने का-
साथियों केवल अच्छे नंबर लाना या हमेशा फर्स्ट डिवीज़न में ही पास होना हमारा लक्ष्य हो लेकिन उस हद तक जहाँ तक उससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़ता हो। हमारा पहला लक्ष्य होना चाहिए एक खुशनुमा इंसान बनने का ताकि हम अपने साथ दूसरों को भी खुश रख सकें। आप अपने लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और उससे भी ज़्यादा आप महत्वपूर्ण हैं अपने परिवार के लिए। दूसरे मेरे बारे में क्या कहेंगे, मै जीवन में सफल होंगा या नहीं, कहीं मै औरो से पीछे तो नहीं रह जाऊंगा से ऊपर इस विश्वास को बनाये रखें की जो आप हैं वो कोई और नहीं हो सकता और अपने जीवन की साथ तो आप कुछ न कुछ अच्छा कर ही लेंगे ये आत्मविश्वास आपको कभी नीचे नहीं गिरने देगा। किसी ने क्या खूब कहा है कि-क्यों डरे हम ज़िंदगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तज़ुर्बा होगा। और कहा है कि आज नहीं तो कल होगा हर मुश्किल का हल होगा, विश्वास अगर हो अपने श्रम पर तो मरुस्थल में भी जल होगा ।