रिपोर्ट धीरज जॉनसन,दमोह
ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों से संपन्न जिले में आज भी यत्र तत्र बिखरे और झाड़ियों और पेड़ों की ओट में प्राचीन समय में स्थापित कलाकृति, मठ,मंदिर,प्रतिमाएं,छतरी,भग्नावशेष,किले,बावड़ी इत्यादि दिखाई देते है जिनमें से कुछ तो संरक्षित है और अन्य को संरक्षण की आवश्यकता परिलक्षित होती है।
जिले के ग्राम रोडा में भी झाड़ियों और पेड़ों से छुपी हुई एक मढ़ा जैसी प्राचीन कला दिखाई देती है जो देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील होती जा रही है जिसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पूर्व में यह महत्व का स्थान रहा होगा।हालांकि अभी भी इसके द्वार,दीवार,गुम्बद और बाहरी बनावट कहीं कहीं सुरक्षित है इस पुरातात्विक स्थल को संरक्षित किया जा सकता है। इस संबंध में रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक डॉ सुरेंद्र चौरसिया ने बताया कि अनुमानतः मध्यकालीन ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से आच्छादित गोल गुंबदनुमा चारों तरफ चार कंगूरे युक्त दो मंजिला स्थापत्य प्रतीत होता है जिसमें निचले तल पर मेहराबदार तीन प्रवेश द्वार और ऊपरी तल पर एक द्वार दाएं-बाएं पार्श्व के द्वार परिलक्षित होते है यह स्थापत्य एक मंदिर वितान (चबूतरा) पर निर्मित है ऐसे ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण ऐतिहासिक कालक्रमों का क्रमिक विकास और विरासत सहेजने योग्य है।