सत्येंद्र जोशी
रायसेन शहर के दशहरा मैदान में चल रही शिव महापुराण कथा के पहले दिन आज पंडित श्री प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि शिव महापुराण को मन में उतार लो तो आपका जीवन सफल हो जाएगा। उन्होंने कथा के माध्यम से पूर्व जन्मों के कई उदाहरण भी दिए।
कथा में श्री मिश्रा जी ने कहा कि क्या आप जानते हैं राजा धृतराष्ट्र की आंखें क्यों नहीं थी, और क्यों उनके सौ पुत्र खत्म हो गए थे। दरअसल आप धृतराष्ट्र के पिछले जन्म के विषय में नहीं जानते। मनुष्य को अपने कर्म के अनुसार ही फल मिलते हैं और यदि इस जन्म में ना मिल पाए तो अगले जन्म में भी भोगना पड़ते हैं। ऐसा ही कुछ धृतराष्ट्र के साथ हुआ था। धृतराष्ट्र पिछले जन्म में बहुत ही सुंदर राजा थे। उन्होंने किसी एक के कहने पर हंस की दोनों आंखें फोड़ दी थी। इतना ही नहीं हंस के बच्चों का तीरो से वध भी कर दिया था। इसी बुरे कर्म की वजह से उनके दूसरे जन्म में वह अंधे पैदा हुए। राजा बने और उनके 100 पुत्र हुए। पांडवों ने महाभारत के दौरान उनका वध कर दिया था। इस बात को उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि है कृष्ण मैंने ऐसे कौन से पाप किए थे, जो मेरी इस जन्म में आंखें नहीं है और मेरे सौ पुत्रों का वध हो गया। भगवान कृष्ण ने उन्हें अपने पिछले जन्म का एहसास दिलाया। फिर महाभारत खत्म होने के बाद उन्होंने इस पाप से मुक्ति के लिए मार्ग बताया। कि आप जंगल में जाकर तब करें, और पार्थिव शिवलिंग बनाए। इससे तुम्हें मुक्ति मिलेगी। तब राजा धृतराष्ट्र भगवान श्री कृष्ण से कहते हैं। हे श्री कृष्ण मेरी दोनों आंखें नहीं है। मेरी पत्नी ने आंखें पट्टी से बंद की हुई है। अब ऐसी स्थिति में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कैसे कर पाऊंगा। तब भगवान श्री कृष्ण कहते हैं माता कुंती आपके साथ रहेंगी। माता कुंती उनके साथ जंगल में चली जाती हैं और शिवलिंग के कार्य में उनकी मदद क
करती हैं। कुल मिलाकर मनुष्य को अच्छे कर्म करना चाहिए। जितना भी हो भगवान का ध्यान करना चाहिए। पंडित श्री मिश्रा जी ने कहां की शिव महापुराण कथा आपके जीवन में बदलाव ला सकती है। आपकी हर मुश्किल को हल कर सकती है। आप प्रभु को एक लोटा जल चढ़ा कर तो देखो।
कथा श्रवण करने पूर्व लोक निर्माण मंत्री एवं सिलवानी विधायक रामपाल सिंह राजपूत, स्वास्थ मंत्री डॉ प्रभू राम चोधरी भी पहुचे था कथा का श्रवण कर आरती में सम्मिलित हुए ।
प्रवीण मिश्रा और उनकी पत्नी बने शिव, पार्वती
कथा में अमरनाथ सेवा समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रवीण मिश्रा भगवान शंकर का स्वरूप बने तथा उनकी पत्नी को पार्वती का स्वरूप बनाया गया था।