-तिल-गुड़ के 51 सौ लड्डू और पांच क्विंटल खिचड़ी का किया वितरण
अनुराग शर्मा सीहोर
हर साल की तरह इस साल भी जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में रविवार को मकर संक्रांति महापर्व का दो दिवसीय कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया। इस मौके पर सुबह 51 सौ से अधिक लड्डू और करीब पांच क्विंटल से अधिक खिचड़ी का भोग लगाकर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को वितरण किया।
सोमवार को भी धाम पर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा और यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को तिल-गुड़ के लडडू और खिचड़ी का वितरण का सिलसिला चलता रहेगा। रविवार को सुबह मंदिर परिसर के पीछे भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा अचानक पहुंचे यहां पर पहले से ही बच्चे पतंग उड़ा रहे थे, उनके अनुरोध पर कुछ देर के लिए पतंगबाजी की। ग्रामीण क्षेत्र सहित शहरी क्षेत्र में मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उडाने का सिलसिला जारी रहा।
रविवार की सुबह अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ यहां पर मौजूद हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने सुबह आरती की और उसके पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि मकर संक्रांति के दो दिन पूर्व से लड्डू बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। समिति की ओर से पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला और आशीष वर्मा सहित अन्य ने यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसादी का वितरण किया। भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है, इस दिन सूर्य उत्तर दिशा की ओर बढऩा शुरू करता है। इसलिए इस दिन को सूर्योत्तरायण भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में सूर्य को देवता माना जाता है, इसलिए मकर संक्रांति को सूर्य देवता का पर्व माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। मकर संक्रांति के दिन कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, जिसमें तिल का लड्डू को अनिवार्य रूप से बनाया जाता है, क्योंकि मकर संक्रांति पर इसे खाना शुभ माना जाता है। साथ ही खिचड़ी, गुड़ से बने व्यंजन, मूंगफली का लड्डू और अन्य व्यंजन जिसमें देशी घी और गुण का प्रयोग करके बनाया जाता है। इस दिन भोजन में भी खिचड़ी के साथ मौसमी सब्जियों का भी उपयोग खूब किया जाता है।