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भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री प्रगतिशील पैनल के अध्यक्ष केंडिडेट तेजकुलपालसिंह पाली जीते, जैन को 115 वोटों से हराया

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भोपाल । कांटे की टक्कर के बीच राजधानी के प्रतिष्ठित भोपाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के चुनाव में अध्यक्ष पद का ताज प्रगतिशील के कैंडिडेट तेजकुल पाल सिंह पाली के सिर रहा। पाली ने सद्भावना पैनल के अध्यक्ष कैंडिडेट आलोक जैन को 115 वोटों से हरा दिया। पाली को 783 और जैन को 668 वोट मिले। जीतते ही वे भावुक हो गए। इस दौरान हारने वाले आलोक जैन ने पाली को गले लगाया। चुनाव में प्रगतिशील पैनल का दबदबा है। कार्यकारी सदस्यों के वोटों की गिनती देर रात तक चलती रही। रात 11.30 बजे निर्वाचित सदस्यों को प्रमाण पत्र दिए गए।

कार्यकारिणी पद के लिए 15 सदस्य चुने गए। इनमें सबसे ज्यादा 700 वोट संजीव जैन को मिले। वहीं, नवीन अग्रवाल, सुनील जैन, वैभव जैन, मनीष सोगानी, अमितकुमार जैन, दीपक पसारी, अजय अग्रवाल, शैलेंद्र प्रधान, अजय देवनानी, सचिन जैन, अमितकुमार बिंदल, हेमंत अग्रवाल, कमल पंजवानी और गोपाल सोनी भी चुने गए।

दो केंडिडेट को बराबर वोट, पर्ची डाली

कार्यकारिणी सदस्यों के वोटों की काउंटिंग सबसे बाद में पूरी हुई। 15वें पद के लिए गोपाल सोनी और नवीन अग्रवाल को बराबर 492-492 वोट मिले। इसके चलते 15वें पद का फैसला गोटी डालकर हुआ। निर्वाचित अध्यक्ष पाली ने पर्ची डाली, जो सोनी की निकली। इसके चलते उन्हें निर्वाचित घोषित किया गया।

कई बार हंगामे की स्थिति

वोटों की काउंटिन के दौरान कई बार हंगामे की स्थिति भी बनी। रिजल्ट आने के बाद पाली और जैन के समर्थकों में जमकर तू-तू, मैं-मैं हुई। हालांकि, वरिष्ठों ने मामले को संभाल लिया। इसके बाद परिसर से लोगों की भीड़ को पुलिस ने हटा दिया।

हंगामे की स्थिति को देखते हुए मुख्य गेट भी बंद कर दिया गया। इससे पहले कार्यकारी सदस्यों के वोटों की गिनती के दौरान कुछ सदस्य कैंडिडेट ने किसी बात पर हंगामा कर दिया और चुनाव अधिकारियों से गलत व्यवहार किया। इसके बाद कुछ देर के लिए काउंटिंग रोक दी गई। पुलिस भी यहां पहुंच गई। सदस्य कैंडिडेट को समझाइश दी गई है कि वो इस तरह से व्यवहार न करें। इसके बाद वापस काउंटिंग शुरू हो गई।

प्रगतिशील पैनल का कब्जा

वोटिंग के 9 घंटों के रूझानों में प्रगतिशील पैनल का कब्जा है। उपाध्यक्ष और सदस्यों की काउंटिंग चल रही है। सबसे पहले अध्यक्ष पद के रिजल्ट घोषित हुए। इसके बाद कोषाध्यक्ष, महामंत्री, सह कोषाध्यक्ष और मंत्री पद के परिणाम सामने आए। उपाध्यक्ष पद के लिए काउंटिन देर तक चलती रही। शाम 6 बजे तक सदस्यों के करीब 400 वोट ही गिने गए थे। इस कारण चुनाव अधिकारी आकाश तेलंग और रोहित श्रोतिय ने हॉल में अलग से व्यवस्था करवाई।

अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष, 2 उपाध्यक्ष और मंत्री पद प्रगतिशील पैनल के रहे। महामंत्री समेत अन्य पद सद्भावना पैनल के हिस्से गए।

इतने पदों के परिणाम

अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष, सह कोषाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री पद। इनमें उपाध्यक्ष के 3 और मंत्री के 2 पद है। शेष 1-1 पद के लिए चुनाव हुए।

भावुक हो गए पाली

जीतने के बाद अध्यक्ष बने पाली भावुक हो गए। जैसे ही रूझान सामने आए उनकी आंखों में आंसू आ गए। जीतने के बाद वे चुनाव अधिकारियों से मिलें। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को शुक्रिया कहा। हाथ भी मिलाया।

ये रहे अब तक के परिणाम

कार्यकारिणी सदस्यों के रिजल्ट को लगेगा समय

कार्यकारिणी सदस्यों की गिनती की जा रही है। चुनाव अधिकारियों के अनुसार रिजल्ट आने में समय लगेगा। हालांकि, मतों की गिनती जल्दी करने के लिए अलग से टेबलें लगाई गई हैं। इससे पहले सुबह 9 बजे से काउंटिन शुरू हुई। इससे पहले सुबह 8 बजे थाने से मतपेटियों को लाया गया। चुनाव अधिकारियों ने 15 मिनट तक काउंटिंग में लगे लोगों को जानकारी दी। 9.15 बजे काउंटिंग शुरू हो गई। काउंटिंग के साथ ही मानस भवन के बाहर व्यापारियों की भीड़ लग गई है। काउंटिग के लिए पांच टेबिल लगाई गई हैं। यहीं पर काउंटिंग की जा रही है। इसके अलावा चुनाव चुनाव में किस्मत आजमा रहे लोगों के बैठने की व्यवस्था बाहर की गई है। काउंटिंग के दौरान हंगामा न हो, इसलिए काउंटिंग स्थल के बाहर खड़े प्रत्याशी और अन्य लोगों को परिसर से बाहर किया गया।

प्रतिष्ठा के सवाल बने थे चुनाव

भोपाल चैंबर्स के चुनाव कई व्यापारियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुके थे। दो गुटों में बंटे व्यापारी BJP-कांग्रेस से जुड़े हैं। इसके चलते पिछले 4 महीने से चुनाव में राजनीतिक रंग छाया रहा। कई बार चुनाव टाले भी गए तो इस्तीफे-हंगामे के साथ हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया। आखिरकार 8 और 9 जनवरी तारीख डिसाइट हुई और चुनाव हो गए। चुनाव के दौरान सामाजिक समीकरण भी बैठाए गए।

80% व्यापारियों ने की थी वोटिंग

वोटिंग शनिवार सुबह 9 से शाम 5 बजे तक हुई थी। कुल 1962 में से 1522 व्यापारियों ने वोट डाले थे। यानी करीब 80% वोटिंग हुई। वोटिंग के तुरंत बाद ही मत पेटियां श्यामला हिल्स थाने में जमा करा दी गई। इन पेटियों में कैंडिडेट्स की किस्मत भी बंद हो गई थी।

CCTV कैमरों से निगरानी, वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल

इस बार चैंबर के चुनाव काफी हाई प्रोफाइल रहे। इस कारण पारदर्शिता रखने के लिए भी CCTV कैमरों की मदद ली गई। चुनाव में लगे सहायक चुनाव अधिकारियों ने वॉकी-टॉकी का भी इस्तेमाल किया। काउंटिंग में भी यह इस्तेमाल किए गए।

4 महीने से सुर्खियों में थे चुनाव

चैंबर के चुनाव पिछले 4 महीने से सुर्खियों में बने हुए थे। कभी प्रशासन की रोक तो कभी चैंबर के ऑफिस में विवाद और फिर हाईकोर्ट में मामला पहुंचने से वोटिंग की डेट तय नहीं हो पाई थी। 27 नवंबर को चुनाव अधिकारियों ने चुनाव की डेट तय करने के लिए मीटिंग भी बुलाई थी, लेकिन मामला चुनाव में खर्च होने वाली राशि को लेकर अटक गया था। आखिरकार राशि का यह मामला भी सुलझा। 18 दिसंबर को कार्यवाहक अध्यक्ष ललित जैन ने चुनाव अधिकारी वरिष्ठ अभिभाषक रोहित श्रोती और आकाश तैलंग को राशि सौंप दी थी। इसके बाद चुनाव की डेट फाइनल की गई थी।

कई बार टले, आखिरकार डेट हुई डिसाइट

पहले चुनाव 29 अगस्त को होने वाले थे, लेकिन 26 अगस्त को SDM मनोज उपाध्याय ने कोविड गाइडलाइन का हवाला देकर चुनाव पर रोक लगा दी थी। इसके बाद कलेक्टर के कथित मौखिक आश्वासन का हवाला देते हुए मुकेश सेन ने 12 सितंबर को दूसरी तिथि घोषित की, लेकिन पर्यूषण पर्व का हवाला देते हुए चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों ने कार्यवाहक अध्यक्ष जैन के साथ चैंबर भवन पर कब्जा जमा लिया था। वहीं, सेन से इस्तीफा ले लिया गया। यह मामला काफी सुर्खियों में रहा।

आखिरकार तत्कालीन चुनाव अधिकारी सेन ने मीटिंग बुलाकर वोटिंग 14 नवंबर को कराने की घोषणा की थी, लेकिन इससे पहले 9 नवंबर को जबलपुर हाईकोर्ट ने चैंबर के कार्यवाहक अध्यक्ष जैन की याचिका पर सुनवाई की थी। जैन ने सचिव मुकेश सेन के चुनाव अधिकारी होने पर सवाल उठाते हुए 14 नवंबर को घोषित चुनाव पर रोक लगाने की मांग की थी।

इस पर हाईकोर्ट ने चुनाव अधिकारी सेन को चुनाव कार्यक्रम से बाहर करने के आदेश जरूर दिए, लेकिन चुनाव पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। साथ ही वरिष्ठ अभिभाषक रोहित श्रोती, आकाश तेलंग और आंशुल अग्रवाल को सहायक चुनाव अधिकारी नियुक्त किया था।

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