– जिला पुरातत्व पर्यटन एवं संस्कृति परिषद शिवपुरी के नोडल ऑफीसर सौरभ गौड़ के विचार
– विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष
सौरभ गौड़
रंजीत गुप्ता शिवपुरी
भारत विश्व के शीर्ष पांच पर्यटक स्थलों में से एक हैै। इसलिए भारतीय पर्यटन विभाग द्वारा वर्ष 2002 में अतुल्य भारत (इनक्रेडिबल इंडिया) के नाम से एक नया अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के तहत परंपरागत पर्यटन के साथ-साथ हिमालय, वन्यजीव, योग एवं आयुर्वेद पर अंतर्राष्ट्रीय समूहों का ध्यान खींचा गया। भारत में पर्यटन की बात करें तो पर्यटन भारत में कोई नई संकल्पना नहीं है। सदियों से हमारे यहां धार्मिक यात्राओं का महत्व रहा है। चाहे वह चारधाम की यात्रा हो, कुंभ के मेलों का आयोजन हो या फिर विशेष तिथि एवं त्योहारों पर नदियों एवं सरोवरों में नहाने की परंपरा हो या फिर विभिन्न प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेना हो। तो भारत का जो पर्यटन रहा है, वह प्रमुखत: तीर्थाटन के रूप में रहा है यानि पर्यटन का महत्व धार्मिक रूप से रहा है।
अतुल्य भारत अभियान से पर्यटन को पूरे भारत से लोगों को जोड़ा गया, विभिन्न प्रकार के पर्यटन एवं पर्यटन क्षेत्रों को भी जोड़ा गया और इसका प्रभाव यह रहा कि भारत में पर्यटन के विकास के नए आयाम बने। अभी हाल ही में भारत में दो नवीन कॉन्फ्रेंस हॉल दिल्ली के प्रगति मैदान में भारत मण्डपम् एवं द्वारिका में यशोभूमि का लोकार्पण किया गया है क्रमश: लगभग 7000 और 11000 व्यक्तियों की बैठक क्षमता वाला यह हॉल भारत में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म को नई ऊंचाईयां देगा, अनेक देशी एवं विदेशी, कॉन्फ्रेंस एवं सेमीनार यहंा पर आयोजित किये जा सकते हैं और हमारे देश में पर्यटन को एक नए डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया जा सकता है।
यह तो बात हो गई देश और प्रदेश की, शिवपुरी में हम देखते हैं कि यह एक पुराना पर्यटक स्थल है। शिवपुरी की विरासत, बसावट, बनावट और विकास पर्यटक स्थल के रूप में ही हुआ है। कैलाशवासी महाराज माधवराव सिंधिया प्रथम ने शिवपुरी नगर को जिला बनाया और विभिन्न निर्माण कार्य कराये, शिवपुरी को रियासत काल में ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दिया गया। भैदयाकुंड, चांदपाटा, छत्री, जॉर्ज कैसल के साथ-साथ वन्य प्राणियों के लिए वन्य क्षेत्र आदि का निर्माण और विकास एक पर्यटक स्थल के रूप में ही किया गया है। यद्यपि शिवपुरी में सैकड़ों वर्ष पूर्व की अत्यंत पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। नरवर का किला तो महाभारतकालीन बताया जाता है। सुरवाया की गढ़ी, खोखई मढ, तेरही आदि इमारतें लगभग एक हजार वर्ष पुरानी हैं। दिनारा का किला, करैरा का किला, पारागढ़ का किला, सेसई की गढ़ी, आदि अनेक इमारतें मध्ययुग में बहुत प्रसिद्ध एवं वैभवशाली थीं। विध्यांचल पर्वत श्रृंखला के सुरम्य पहाड़ियों एवं घने जंगलों से आच्छादित शिवपुरी में भरपूर ईको सिस्टम मौजूद है। यहां पर लाखों प्रकार की जड़ीबूटी, वनस्पति के साथ-साथ हजारों की संख्या में छोटे-बड़े जीवजंतु पाए जाते हैं, जो कि पर्यटन के आकर्षण के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों को रोजगार का अवसर भी देते हैं।
शिवपुरी मूलत: एक पर्यटक स्थल ही है। यहां पर कला संस्कृति, ऐतिहासिक इमारतों के साथ-साथ वन्य प्राणी पर्यटन के विकास के भी बहुत संभावना है। विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर नेशनल पार्क यहां से मात्र 180 किलोमीटर की दूरी पर है। अभी हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में अफ्रिका महाद्वीप से चीता लाया गया है और संभवत: विश्व का पहला एवं अनूठा प्रयोग कर एक बड़ी प्रजाति को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में स्थानांतरित कर उनके प्राकृतिक रहवास एवं प्रजाति विकास का प्रयास किया गया है। लगभग एक वर्ष पूर्ण होने के उपरांत अति संवेदनशील चीता प्रजाति की सरवाईवल रेट 75 प्रतिशत है जो कि बहुत सकारात्मक और उत्साहवर्धक है।
कूनो नेशनल पार्क का एक गेट टिकटोली श्योपुर जिले में है एवं दूसरा गेट अहेरा शिवपुरी जिले में है। जो कि आगरा-ग्वालियर, झांसी-कानपुर, भोपाल-इंदौर आने वाले पर्यटकों को नजदीक पड़ता है। इस हिसाब से चीता देखने वाले पर्यटकों से शिवपुरी को लाभ मिलने की संभावनाएं बनती हैं। लगभग 06 माह पूर्व माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में भी शेर/टाइगर को भी खुले जंगलों में छोड़ा गया है। शीघ्र ही टाइगर सफारी प्रारंभ होने की संभावना है। तो इस प्रकार शिवपुरी भारत में एक मात्र ऐसा स्थल होगा जहां पर आकर वन्य प्राणी पर्यटक चीता एवं टाइगर के साथ-साथ तेंदुआ प्रजाति को भी प्राकृतिक रूप में देख सकेंगे क्योंकि इन जंगलों में हिरण, बारासिंगा, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर के साथ-साथ तीतर, मोर, नीलकंठ, मैना आदि पशु-पक्षी बहुतायात में हैं। इसके अलावा अनेक प्रकार की बड़ी जल संरचनाएं जिसमें मोहनी सागर, मढ़ीखेडा बांध, माताटीला बांध जैसी बड़े जलाशयों के साथ-साथ हरसी बांध, महुअर बांध, चांदपाटा, पचीपुरा आदि बड़े तालाब भी हैं। जिनमें विभिन्न प्रकार के वाटर स्पोर्टस आयोजित किये जा सकते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां पर ट्रेकिंग एवं ट्रेलिंग को विकसित किये जाने की भरपूर संभावनाएं हैं। यह न केवल रोजगार की दृष्टि से बल्कि युवाओं के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।
शिवपुरी में सहरिया आदिवासी भी बहुलता में हैं। जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में यह प्राथमिक आदिवासी समूह मिलता है। इन आदिवासियों की एक विशिष्ट संस्कृति, रहन-सहन, पहनावा एवं रीति-रिवाज हैं जो देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का कार्य करती है। ट्रायवल टूरिज्म की दृष्टि से शिवपुरी जिला बहुत खास है। यहां पर एक आदिवासी संग्रहालय/ट्रायवल म्यूजियम भी बनाया जाना प्रस्तावित है। शिवपुरी जिले में पर्यटन एक महत्वपूर्ण उद्योग का रूप ले सकता है। हम देखते हैं कि बहुत सारे छोटे-छोटे शहर उत्तराखंड के, हिमाचल प्रदेश के, राजस्थान के, उत्तरप्रदेश के या अन्य किसी राज्य के हों पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण वहां कि जनसंख्या की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन ही है। जहां पर सीजनल टूरिज्म होता है वहां पर चार या छ: महीने से कमाकर वर्षभर अपना काम चलाते हैं जबकि शिवपुरी में पर्यटन एक वार्षिक गतिविधि है। वर्ष के प्रत्येक माह में यहां पर पर्यटकों के लिए आकर्षण उपलब्ध है। इससे ना केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि आय के साधन बढ़ने से आम नागरिकों का जीवन स्तर भी बढ़ेगा।
(नोट- लेखक मप्र पर्यटन संवर्धन सांस्कृतिक परिषद शिवपुरी के नोडल अधिकारी हैं)