अगर कोई व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाना चाहता है तो उसे आचार्य चाणक्य की नीतियों से जरूर कुछ न कुछ सीखना चाहिए। ऐसे ही आचार्य से जानिए किन लोगों को तुरंत ही त्याग देना चाहिए
आचार्य चाणक्य एक प्रसिद्ध विद्वान थे। उन्होंने चाणक्य नीति के माध्यम से लोक कल्याण करने की पूरी कोशिश की हैं। उन्होंने नीति शास्त्र में ऐसी-ऐसी बातों के बारे में विस्तार से बताया है जिनका पालन करके व्यक्ति मान-सम्मान पाने के साथ जिंदगी के हर परेशानी से छुटकारा पा सकता है। ऐसे ही चाणक्य ने उन लोगों के बारे में बताया है जिन्हें जीवन में जरा सा भी तवज्जो नहीं देना चाहिए। इन्हें तुरंत ही जिंदगी से निकाल देना चाहिए।
श्लोक
त्यजेद्धर्म दयाहीनं विद्याहीनं गुरुं त्यजेत्।
त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या निःस्नेहान्बान्धवांस्यजेत्॥
अगर धर्म में दया न हो तो उसे त्याग देना चाहिए । इसी तरह विद्याहीन गुरु, क्रोधी पत्नी और स्नेहहीन सगे-संबंधियों को भी त्याग देना चाहिए ।
आचार्य चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि अगर व्यक्ति को खुशहाल जीवन जीना है तो उसे उन चीजों से हमेशा दूर रहना चाहिए जो उन्हें कष्ट पहुंचाती हैं। जानिए ऐसे ही उन चार लोगों के बारे में जिन्हें बिना सोचे ही त्याग देना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि ऐसे धर्म का क्या फायदा, जिसमें लोगों के प्रति जरा भी दया न हो। इसलिए जो व्यक्ति के अंदर धर्म के साथ दया जरा सी भी न हो, तो उसका त्याग तुरंत कर देना चाहिए। इसी तरह अगर किसी ऐसे अध्यापक से शिक्षा ले रहे हैं जिसे विषय में जानकारी न हो तो उससे तुरंत ही त्याग देना चाहिए। क्योंकि जिस व्यक्ति के पास खुद ज्ञान न हो वो दूसरों को भी विद्या नहीं दे सकता है। इसी तरह घर की लक्ष्मी यानी पत्नी परिवार के हर सदस्य के साथ प्यार से रहती हैं तो घर में खुशहाली बनी रहती है। वहीं अगर पत्नी क्रोधी है तो उसे पहले समझाने की कोशिश करना चाहिए। इसके उपरांत भी वह खुद न बदले तो सोच-समझ कर फैसला जरूर करना चाहिए। क्योंकि आने वाला समय हानिकारक साबित हो सकता है। इसी तरह ऐसे रिश्तेदारों से भी तुरंत दूरी बना लेना चाहिए जो आपसे सिर्फ अपने फायदे के लिए जुड़े हो। क्योंकि ऐसे रिश्तेदार आपका कार्य सिद्ध करने के लिए आप का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से तुरंत ही दूरी बना लेना चाहिए।