Let’s travel together.

जानिए कब है रंग पंचमी? शुभ मुहूर्त और इस पर्व को मनाने की खास वजह

0 461

इस साल होलिका दहन 17 मार्च को मनाई जाएगी जबकि18 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं इसके ठीक पांच दिन बाद यानी 22 मार्च को रंगपंचमी मनाया जाएगा। आइए जानते हैं रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त और इसे बनाने की वजह

फाल्गुन मास की पूर्णिमा से शुरू हुआ होली का त्योहार चैत्र मास की पंचमी तिथि तक मनाया जाता है। इसी पंचमी तिथि को रंगपंचमी के नाम से जाना जाता है। इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है। इसे श्रीपंचमी और देव पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, बहुत-सी जगहों पर होली समेत पांच दिनों तक रंग खेलने की परंपरा है, यानी असल में होली का त्योहार रंग पंचमी के दिन सम्पूर्ण होता है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, यू.पी, राजस्थान आदि जगहों पर विशेष रूप से ये त्योहार मनाया जाता है। होली की तरह ही इस दिन भी खूब अबीर-गुलाल उड़ाया जाता है और एक-दूसरे के रंग लगाया जाता है। कहते हैं आज वायुमंडल में रंग उड़ाने से या शरीर पर रंग लगाने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक शक्तियों का संचार होता है और आस-पास मौजूद नकारात्मक शक्तियां क्षीण हो जाती हैं।
जानें कब है रंग पंचमी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 17 मार्च को मनाई जाएगी जबकि18 मार्च को होली खेली जाएगी। वहीं इसके ठीक पांच दिन बाद यानी 22 मार्च को रंगपंचमी मनाया जाएगा। आइए जानते हैं रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त और इसे बनाने की वजह।

रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त

चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि प्रारंभ – 22 मार्च 2022, मंगलवार सुबह 06 बजकर 24 मिनट से शुरू

चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि समाप्त – 23 मार्च 2022, बुधवार, सुबह 04 बजकर 21 मिनट तक

रंगपंचमी मनाने की वजह

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण रंगपंचमी के दिन राधा मां के साथ होली खेली थी। इसी वजह से इस दिन विधि-विधान के साथ राधा-कृष्ण का पूजा करने के बाद उन्हें गुलाल आदि अर्पित करके होली खेला जाता है। साथ ही इस दिन राधा रानी के बरसाना में मंदिरों में विशेष पूजा करने के बाद हुरियारे अबीर-गुलाल उड़ाते हैं।
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान भोलेनाथ ने कामदेव को भस्म कर दिया था। जिसके चलते देवलोक में उदासी छा गई थी। उसके बाद भगवान शिव ने कामदेव की पत्नी देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन  दिया था। इससे सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे। इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा।
रंगपंचमी के दिन उड़ाई जाती है गुलाल

रंगपंचमी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन रंगों की बजाए गुलाल से होली खेली जाती है। साथ ही रंगपंचमी के दिन हुरियारे गुलाल उड़ाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है। साथ ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी धरती भी पर आ जाते हैं और वह इंसानों के साथ गुलाल खेलते हैं। ये भी कहा जाता है कि हवा में उड़ने वाली अबीर-गुलाल के संपर्क में जो व्यक्ति आ जाता है उसको हर पापों से छुटकारा मिल जाता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

शारदा प्रसाद वने पिछड़ावर्ग उत्थान समिति के जिलाध्यक्ष     |     श्रम कल्याण एवं कौशल उन्नयन केंद्र सतलापुर में मनाई गई विश्वकर्मा भगवान पूजन     |     शिक्षा मंत्री द्वारा दिए अतिथि शिक्षकों के बयान पर अतिथि शिक्षकों ने जाताया आक्रोश,मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन     |     कांग्रेस ने किसान न्याय यात्रा निकाली,ट्रेक्टर पर सवार होकर पहुंचे कलेक्ट्रेट,ज्ञापन सोपा     |     सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले शासकीय कर्मचारी को तहसीलदार ने थमाया नोटिस,एक लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया     |     श्रुति धर्मेद्र जैन को वर्ष 2023 के प्राचार्य शंकर लक्ष्मण गोखले रजत पदक से किया सम्मानित     |     चर्चित बाबूलाल हत्या कांड में दामाद को मिली आजीवन कारावास की सजा     |     श्रीमती ममता शुक्ला की स्मृति में निःशुल्क त्वचा(स्किन) रोग जांच शिविर कल     |     प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के एक वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल हुए शामिल     |     TODAY :: राशिफल शनिवार 21 सितम्बर 2024     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811