महिलाएं और बुजुर्ग; बोले- ऐसा करने से आपदाएं नहीं आतीं
सिलवानी रायसेन से देवेश पाण्डेय
होलिका दहन के बाद आस्था और श्रद्धा के चलते ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के ऊपर नंगे पैर चलते हैं। इस काम में बच्चों से लेकर महिलाएं और उम्रदराज बुजुर्ग तक पीछे नहीं रहते। ग्रामीणों का दावा है कि आग पर चलने के बाद भी किसी ग्रामीण के ना तो पैर जलते हैं और न ही कोई और परेशानी होती है। सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर से निकलते हैं।
ये मामला सिलवानी तहसील से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत हथौड़ा के महगवा गांव और ग्राम पंचायत डुंगरिया कला के चंदपुरा गांव का है। चंदपुरा में ग्रामीण पिछले दस साल से होली पर आग पर से निकलते आ रहे हैं, वहीं महगवा में करीब सौ सालों से ये परंपरा चलती आ रही है। बच्चे व महिलाएं जलते हुए अंगारों पर ऐसे चलते हैं, मानो जैसे फूलों पर चल रहे हों।
दूसरे गांवों से भी देखने आते हैं लोग
ग्रामीण अपनी इस परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभाते आ रहे हैं। महगवा के चौराहे पर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के पश्चात ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन को देखने के लिए चीचैली, चैका, धनगवा, नांदपुर, भानपुर, डुंगरिया कला, हथोड़ा सहित कई अन्य गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में देखने के लिए एकत्रित होते हैं।
अनेकों वर्षों से हो रहा है आयोजन
होलिका दहन के धधकते हुए अंगारों के ऊपर से नंगे पैर निकालने का सिलसिला करीब सौ वर्षों से चल रहा है। इसके शुरू होने के कारण की सटीक जानकारी किसी भी ग्रामीण के पास नहीं है। लेकिन आस्था इतनी है कि पर्व आने के कई दिन पहले से ही ग्रामीणों द्वारा तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। बड़ी संख्या में ग्रामीण इस आयोजन में भाग लेते हैं।