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मध्य प्रदेश के 44 जिलों में 101 रेत खदानों की निविदा सह नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ

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भोपाल। खनिज साधन विभाग ने 44 जिलों में 101 रेत खदानों की निविदा सह नीलामी प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। खदान लेने के इच्छुक ठेकेदार-कंपनी आठ से 24 जुलाई तक निविदा जमा कर सकेंगे। निविदा में आने वाले अधिकतम मूल्य को आधार बनाकर खदानों की बोली लगवाई जाएगी।

यह खदानें अगले तीन साल के लिए दी जाएंगी, इनमें अक्टूबर 2023 से उत्खनन प्रारंभ होने की संभावना है। नर्मदापुरम रेत उत्खनन वाला सबसे बड़ा जिला है, यहां खदानों के तहसील स्तर पर तीन समूह बनाए गए हैं, शेष जिलों में जिला स्तर पर रेत समूह नीलाम होंगे।

कमल नाथ सरकार ने वर्ष 2019 में रेत नीति लागू की थी, जिससे सरकार को लगभग 1400 करोड़ रुपये राजस्व मिला है। अब 1500 करोड़ से अधिक मुनाफे का लक्ष्य तय किया गया है। नर्मदापुरम जिले की तीनों रेत खदानों का निविदा के लिए प्रारंभिक आधार मूल्य 160 करोड़ (75, 55 और 30 करोड़) रुपये तय किया गया है।

इस तरह सभी 44 जिलों में रेत खदानों का प्रारंभिक निविदा मूल्य 779 करोड़ रुपये रखा है। वहीं भोपाल जिले की खदानों के लिए 10 लाख रुपये मूल्य तय किया है। नई रेत नीति में सरकार ने रेत नीलाम करने और निगरानी का जिम्मा खनिज निगम को सौंप दिया है। सरकार ने सभी खदानें विभाग को आवंटित की है। अब वही मुख्य मालिक होगा और संचालन के लिए ठेकेदारों को तीन वर्ष के लिए देगा।

तीन माह में शुरू होगा उत्खनन

पहली बार ऐसा हो रहा है कि खनिज निगम सभी तरह की (उत्खनन और पर्यावरण) अनुमतियां लेकर ठेकेदारों को खदानें सौंपेगा। इससे उम्मीद की जा रही है कि वर्षाकाल समाप्त होते ही अक्टूबर से खदानों से उत्खनन शुरू हो जाएगा। अभी तक ये अनुमतियां ठेकेदारों को लेनी होती थीं।

यही कारण है कि वर्ष 2019 में खदानें लेने वाले कई ठेकेदारों को बीच में ही ठेके छोड़ने पड़े, क्योंकि वे एक-एक साल तक अनुमति नहीं ले पाए। बता दें कि 44 जिलों की रेत खदानों से अगले तीन साल में तीन करोड़ 11 लाख घन मीटर रेत निकाली जाएगी। इसमें से सबसे अधिक 64 लाख घन मीटर रेत नर्मदापुरम जिले की खदानों से निकाली जाएगी। रेत निकालने के लिए ठेकेदारों को तीन माह की राशि अग्रिम देनी होगी।

पुराने ठेकों का समय बढ़ा सकती है सरकार

पुराने ठेकेदारों को कोरोना काल में खदानें बंद रहने से नुकसान हुआ है। वे नुकसान की भरपाई के लिए सरकार पर समय बढ़ाने का दबाव बना रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार पुराने ठेकेदारों को तीन माह और रेत उत्खनन की अनुमति दे सकती है। ऐसा हुआ तो इसका असर चयनित खदानों पर भी पड़ेगा।

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