ग्वालियर। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी 29 जून को मनाई जाएगी। इसे देवशयनी या हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया की इस दिन श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है। देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु का निद्राकाल शुरू हो जाता है, यानी इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है। चतुर्मास शुरू होने के बाद से सारे शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है।
चातुर्मास 30 जून से 23 नवंबर तक
चातुर्मास 30 जून से लगेगा और 23 नवंबर को खत्म हो जाएगा। इस बार श्रावण पुरुषोत्तम मास होने की वजह से दो माह तक है, इसलिए चातुर्मास की अवधि पांच माह की होगी। इस दौरान सभी मांगलिक कार्य बंद रहेंगे। हिंदू धर्म में चातुर्मास का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ माह से शुरू होती है और कार्तिक की एकादशी के दिन खत्म होते हैं।
चातुर्मास में ये कार्य हैं वर्जित रहेंगे
इस दौरान मुंडन, उपनयन संस्कार, विवाह इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में मांगलिक कार्य करने से व्यक्ति को उनका आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है, जिस वजह से विघ्न उत्पन्न होने का खतरा बना रहता है। हर साल चातुर्मास सामान्य रूप से 4 महीने का होता है, लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा। यानी कि इस दिन भगवान विष्णु पूरे 5 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगा और फिर इसके बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि देवउठनी एकादशी के दिन योग निद्रा से जागेंगे।
देवशयनी एकादशी का पूजा मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 29 जून 2023 सुबह 03:18 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 30 जून सुबह 02:42 मिनट पर हो जाएगा। पूजा तिथि के अनुसार, देवशयनी एकादशी व्रत गुरुवार 29 जून 2023 को रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर रवि योग का निर्माण हो रहा है, जो सुबह 05:26 मिनट से दोपहर 04:30 मिनट तक रहेगा।
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