चाणक्य के अनुसार भौतिकवादी युग में हर व्यक्ति धनवान बनने की चाहत रखता है. धनी बनने के लिए व्यक्ति को कठोर परिश्रम करना पड़ता है. जो व्यक्ति कठोर परिश्रम करते हैं उन्हें लक्ष्मी जी कृपा अवश्य प्राप्त होती है.
चाणक्य की गिनती भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में की जाती है. चाणक्य को विभिन्न विषयों को ज्ञान था. चाणक्य अर्थशास्त्र विषय के साथ कूटनीति शास्त्र और राजनीतिशास्त्र के भी ममर्ज्ञ थे. चाणक्य ने अपने ज्ञान और अनुभव से पाया कि धन व्यक्ति के जीवन को सुगम और सरल बनाता है. कलयुग को अर्थप्रधान युग भी कहा गया है. इसीलिए कलयुग में लक्ष्मी जी का विशेष महत्व है. चाणक्य ने लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा है.
लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए व्यक्ति अथक प्रयास करता है. लंबी यात्राएं करता है. जोखिम उठाकर धन प्राप्त करने के लिए तैयार रहता है. लेकिन कई बार व्यक्ति लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने में असफल रहता है. जीवन में लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहे और धन की कमी न रहे इसके चाणक्य की इन बातों को गंभीरता से जानना और मानना चाहिए.
धन की बचत करें
चाणक्य के अनुसार लक्ष्मी जी का स्वभाव चंचल है. इस कारण लक्ष्मी जी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं रुकती हैं. वे अपना स्थान बदलती रहती हैं. इसलिए धन के महत्व को समझना चाहिए. जो लोग धन के महत्व को जीवन में नहीं समझते हैं वे परेशानी उठाते है. धन की बचत करना सबसे अच्छी आदतों में से एक है. धन का संचय व्यक्ति को बड़ी परेशानियों से बचाता है.
परिश्रम और अनुशासन
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को धन प्राप्त करने के लिए कभी परिश्रम से नहीं घबराना चाहिए. जो व्यक्ति परिश्रम करने से बचते हैं, उनके जीवन में सदैव धन की कमी बनी रहती है. वहीं अनुशासन का पालन करना चाहिए. नियम और अनुशासन व्यक्ति को सजग और समझदार बनाता है.