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15 हजार की शराब पीता है प्रापर्टी डीलर करता है मारपीट महिला आयाेग ने 6 माह की निगरानी में दिया प्रकरण

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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ आयोग महिला आयोग की सोमवार को यहां कलेक्ट्रेट में आयोजित सुनवाई बैठक में शराब के कारण परिवारों में कलह के मामले सुर्खियों में रहे। आयोग की अध्यक्ष डा किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती बालो बघेल ने आस्था सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रस्तुत प्रकरणों पर जन सुनवाई की। सुनवाई में जगदलपुर का एक मामला ऐसा था जिसमें पति-पत्नी के बीच कलह की वजह शराब भी बताई गई। इस प्रकरण में आयोग की अध्यक्ष ने उपस्थित दोनों पक्ष को समझाइश दी लेकिन पत्नी पति के साथ रहने के लिए तैयार नहीं है।

पत्नी ने बताया कि पति मारता पीटता है। पति ने महिला आयोग को बताया कि वह प्रापर्टी डीलर है और उसने स्वीकार किया कि वह हर माह लगभग 15 हजार रुपये की शराब पी लेता है। डा किरणमयी नायक ने कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है वह महीने का लगभग एक लाख कमाता है। बच्चों के खर्च वहन करता है। उसे अपनी पत्नी को भी 15 हजार रुपये हर माह देना चाहिए। शराब की वजह से तलाक की नौबत देख आयोग ने दो बच्चों के भविष्य को लेकर सुलह कराया। पति को समझाइश दी गई कि जितने रुपये की वह शराब पीता है उतना ही पैसा पत्नी को दे। जिसे पति द्वारा स्वीकार कर लिया गया। इस प्रकरण का निगरानी आयोग ने जिला महिला संरक्षण अधिकारी बीनू हिरवानी को सौपी है।

बताया गया कि छह माह के लिए निगरानी में प्रकरण दिया गया है। उसके बाद प्रकरण की अगली सुनवाई रायपुर में की जाएगी। सुकमा जिले से भी शराब से परिवार में तनाव का एक मामला आयोग के सामने आया था। इस मामले में पत्नी का आरोप था कि सास से उसकी नहीं पटती है। घर पर शराब बेची जाती है। पति भी मारता पीटता है। सास ने आयोग को बताया कि वह बहू को साथ में नहीं रखना चाहती वह चाहे तो पति के साथ अलग रह सकती है। पति सुनवाई बैठक में उपस्थित नहीं था। आयोग की अध्यक्ष डा नायक ने सास-बहू की दलीलों को सुनने के बाद प्रकरण की अगली सुनवाई रायपुर में नियत करते हुए कहा कि सुनवाई में सास-बहू और बेटा तीनों उपस्थित रहेंगे। आयोग ने परिवारिक विवाद सुलझाने का विकल्प दिया और कहा कि ऐसा नहीं होने पर आयोग अपनी कार्रवाई करेगा।

24 प्रकरणाें की सुनवाई हुई

आयोग की सुनवाई बैठक में 24 प्रकरणों की सुनवाई की गई। एक प्रकरण में आवेदिका संविदा कर्मचारी का आरोप था कि तीन साल से उसका सीआर अनावेदक अधिकारी ने जान बूझकर परेशान करने की नीयत से रोक रखा है। सुनवाई में आठ प्रकरणों को रायपुर सुनवाई हेतु स्थानांतरित तथा छह प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया।

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