भोपाल। वर्ष-2016 में नोट बंदी के बाद 2000 का नोट बाजार में आया था। अब भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को 23 मई से 30 सितंबर तक नोट बदलने का समय दिया। बैंक अब नए दो हजार के नोट नहीं देंगे। इस निर्णय पर शहर के सीए, उद्योगपति, व्यापारियों, नौकरीपेशा सहित आम लोगों से नवदुनिया ने बातचीत की और जाना कि क्या इसे दूसरी नोट बंदी से देखा जा रहा है?इस पर विशेषज्ञों से भी बात की। उनकी प्रतिक्रिया जानीं। विशेषज्ञों ने कहा कि इसे दूसरी नोट बंदी न समझें। आम लोगों के पास 2000 का नोट नहीं मिलेगा। नोट की छपाई वर्ष-2018 से बंद हो चुकी है। उच्च वर्ग के लोगों के पास दो हजार के नोट हैं। ऐसे में चार महीने का समय नोट बदलने के लिए पर्याप्त है। बैंकों में काउंटर भी लगेंगे। इससे नोटबंदी के जैसे हालात नहीं बनेंगे।
20 हजार की लिमिट बढ़ाई जाए
दो हजार रुपये बदलने की प्रक्रिया 23 मई से शुरू हो रही है। 20 हजार रुपये तक एक व्यक्ति बदल सकता है। जिनके पास जीएसटी नंबर है, उन व्यापारियों के लिए नोट बदलने की लिमिट बढाई जाए। इसे दूसरी नोट बंदी की तरह नहीं देखा जाए। नोट को आमान्य नहीं किया गया है। आदित्य मान्यां जैन, आर्थिक विशेषज्ञ
आम लोग दो हजार का नोट नहीं रखते
देश, प्रदेश व शहर मे जितने भी आम लोग हैं। वो इतना बड़ा नोट नहीं रखते हैं। इसके साथ ही डिजिटल लेन-देन बढ़ा है। जिनके पास नोट हैं, उन्हें नोटबंदी जैसी दिक्कत नहीं होगी। कोई कतार में नहीं खड़ा होना पड़ेगा। -राजेश जैन, चार्टर्ड अकाउंटेंट
डिजिटल पैमेंट को मिलेगा बढ़ावा
दो हजार के नोट प्रिंट होने पहले से बंद हो चुके हैं। जिनके पास दो हजार के नोट हैं, वो 30 सितंबर तक बदल सकते हैं। पहले जैसे हालात तो नहीं बनेंगे। बैंकों में काउंटर भी बनाए जाएंगे। इस निर्णय से डिजिटल पैमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
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