जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान इस धराधाम पर अवतरित होते हैं-पं.रेवा शंकर शास्त्री
–कथा व्यास पं रेवा शंकर शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था
-महिलाओं द्वारा भगवान के मंगल गीत गाए गए नंद घर आनंद भयो जय कंहैया लाल की भजन पर श्रद्वालु झूम झूम कर नाजे
-भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जमकर नाचे श्रद्धालु
देवेश पाण्डेय सिलवानी रायसेन
सरस्वती नगर में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा आयोजन रविशंकर शर्मा सुरेश शर्मा गणेश शर्मा श्याम सुंदर शर्मा विपिन शर्मा सौरभ शर्मा के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आयोजन सरस्वती नगर में किया जा रहा है ।
कथा व्यास पंडित रेवाशंकर शास्त्री ने श्रद्धालु को चौथे दिवस के अवसर पर भागवत कथा का रसास्वादन कराते हुए कहा कि आज कलयुग मे भगतो के लिए श्रीमद भागवत कथा की रसधारा बह रही है। मनुष्य को इसे गहण करने की आवाश्यकता है
श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक पं.रेवा शंकर ने श्रीकृष्ण जन्म लीलाओं का वर्णन किया। श्रीकृष्ण के जन्म पर श्रोता जमकर झूमे। कथा वाचक पं.रेवा शंकर ने भगवान श्री कृष्ण जन्म कथा का वर्णन करते हुए कहा कि जीव जब साधना करने बैठ जाता है तब संसार रुपी हथकड़ीयां और पैरों की बेडिय़ां टूट जाती है और ईश्वर के प्रेम के दरवाजे खुल जाते हैं। भगवान कभी जन्म नहीं लेते अवतार धारण करते हैं, प्रगट होते हैं। उन्होंने देवकी-वासुदेव प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। भक्तों का उद्धार करने के लिए भगवान को जेल में प्रगट होना पड़ा, लेकिन उनका लालन पालन नंद गांव में हुआ भक्तों के द्वारा जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की झांकी सजाकर जन्मोत्सव मनाया गया।
जन्मोत्सव पर श्रोताओं ने जमकर नृत्य किया तथा मिठाई बांट कर खुशिंया मनाई एवं श्रीकृष्ण के जन्म पर बधाईयां व मिठाइयां वाटी गई इस दौरान श्रद्धालु नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल के गीत गाते हुए जमकर झूमे समग्र रूप से धर्म का पालन करने से आत्मशक्ति में वृद्धि होती है पंडित रेवाशंकर शास्त्री कहा कि
हमारी धर्म के परिपालन में जितनी दृढ़ता होगी ,उतनी ही हमारी आत्म शक्ति में वृद्धि होगी ।उन्होंने कहा कि शरीर का धर्म अलग है और आत्मा का धर्म अलग है । शरीर जिस प्रकार व्यायाम करने से, योग आसन करने के माध्यम से पुष्ट और शक्तिशाली होता है, इसी प्रकार आत्मा भी यम नियम पूर्वक परमात्मा का ध्यान करने ,साधना करने और पूजा पाठ करने से ,आत्मबल में वृद्धि होती है। हमारा कर्तव्य है कि हम हमारे धर्म का पूर्ण श्रद्धा के साथ, निष्ठा के साथ पालन करें । भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि अपने धर्म में मरना श्रेष्ठ है, किसी दूसरे धर्म में प्रवेश करने की अपेक्षा या उसकी प्रशंसा करने की अपेक्षा। धर्म का पालन संपूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ ही जीवन में करना चाहिए । धर्म की रक्षा हम करते हैं, तो धर्म हमारी रक्षा करता है।
कथा विश्राम के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कथा में बड़ी में संख्या में महिला-पुरूष शामिल थे।