शिव के साथ होती है शक्ति की आराधना,जामगढ़-भगदेई में मिलता है भोले बाबा का बरदान
कमल याज्ञवल्क्य
बरेली ( रायसेन)। अपनी अद्भुत स्थापत्य कला के लिए विख्यात रायसेन जिले के बरेली अनुविभाग में स्थित ऐतिहासिक ग्राम जामगढ़-भगदेई के अति प्राचीन ऐतिहासिक शिव गुफा- मंदिर अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिए विख्यात है. संभवतः रायसेन जिले का यह एक मात्र अति प्राचीन शिव मंदिर है जो देश भर के शैव उपासकों और तंत्र मार्गी साधकों के लिए सहजता के साथ सिद्धी प्राप्ति का बड़ा तीर्थ माना जाता है. विभिन्न तांत्रिक प्रतीकों से सुसज्जित हैं यह शिव
और शक्ति के धाम. महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां शिव के साथ प्राचीन देवी मठ में विराजी माँ भगवती की भी आराधना की परंपरा है. यहां की विशेषता यह भी है कि सूर्य की पहली किरण सीधे मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर पड़तीं है, यहां सदियों से सूर्य ही शिव का श्रृंगार कर रहे हैं. बताया जाता है कि यहां मूल शिवलिंग ओंकारेश्वर जैसे हैं. पास ही विभिन्न तांत्रिक प्रतीकों से सुसज्जित प्राचीन देवी मठ है. यहां शिव के साथ शक्ति की पूजा की अनूठी परंपरा भी है. कहते हैं यहां साधना करने वाले को भोले मनचाहा वरदान देते हैं.
किवदंती के अनुसार त्रेता युग का है शिव मंदिर
विंध्याचल पर्वत के पास तालाब के किनारे स्थित भव्य अति प्राचीन शिव मंदिर को ग्रामीण त्रेतायुग का जामवंत द्वारा निर्माण किया मानते हैं. अधूरे कलश को लेकर एक किवदंती है कि इस अति प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण जामवंत ने नग्न होकर एक ही रात में किया. बताया गया है कि जामवंत ने अपनी बहन से कहा था कि कोई मंदिर निर्माण स्थल तरफ आए तो घंटा बजा देना. जामवंत की बहन ने परीक्षा लेने के लिए घंटा बजा दिया और जामवंत अधूरे कलश को छोड़कर अपनी गुफा में चले गए. हालांकि तंत्रमार्गी इस मंदिर के निर्माण को पांचवीं-छठवीं शताब्दी का मानते हैं. मंदिर को
लेकर मत मतान्तर अपनी जगह हैं किन्तु ऐतिहासिक विरासत के रूप में आज भी यह अति प्राचीन शिव मंदिर अपने होने की गवाही सदियों से स्वयं दे रहा है. इसी प्रकार विंध्याचल पहाड़ी पर स्थित प्राकृतिक प्राचीन शिवगुफा पर भी महाशिवरात्रि के पर्व पर भक्तों का तांता लगा रहता है. यह बात अलग है कि
जिला प्रशासन की घोर उपेक्षा के चलते यहां किसी प्रकार भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. भोले के भक्त परेशानियों की परवाह किये बगैर ऊबड़ खाबड़ रास्ते से गुफा तक पहुंच कर शिव जी का अभिषेक भक्ति सहित करते हैं. आज भी महाशिवरात्रि के विशेष पर्व पर अंचल के अलावा दूर दूर के भक्त अपने भोले भगवान का जलाअभिषेक और पूजा आराधना भक्ति सहित कर रहे हैं.