फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पावन त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। देवाधिदेव महादेव की महिमा अपरंपार है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से जीवन में खुशियां और सुख समृद्धि का आगमन होता है। देवाधिदेव भगवान शिव श्रद्धा भक्ति के साथ की गई जरा सी पूजा से तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
महाशिवरात्रि के पावन दिन भगवान शिव का सच्चे हृदय से स्मरण करें। ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए रुद्राभिषेक करें। भगवान शिव को 108 बेल के पत्ते अर्पित करें और अंतिम पत्ते को आशीर्वाद के रूप में तिजोरी में रख लें। भगवान शिव को प्रिय डमरू को बहुत शुभ माना जाता है। डमरू को घर में रखने से किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती। भगवान भोलेनाथ की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी है। रोजाना उन्हें बेलपत्र अर्पित करने से घर में दरिद्रता नहीं आती है और मन शांत रहता है। शिवरात्रि के दिन अपने गले में रुद्राक्ष धारण करें। इससे पहले उसे कच्चे दूध के साथ धो लें। भगवान शिव का त्रिशूल मानसिक शांति प्रदान करता है और घर में त्रिशूल रखने से परिवार को कभी किसी की नजर नहीं लगती है। महाशिवरात्रि के दिन घर में सुंदर रंगोली बनाएं। रंगोली बनाने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं। इस पावन दिन अपने घर में शिव परिवार का चित्र लगाएं। इससे घर में क्लेश नहीं होता है और बच्चे आज्ञाकारी होते हैं। भगवान शिव नंदी पर विराजित हों या फिर ध्यान की मुद्रा में हों ऐसा चित्र लगाने से घर में वातावरण शांत रहता है। बच्चों में एकाग्रता बढ़ती है। भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत उत्तर दिशा में है। इस कारण शिवजी की मूर्ति या चित्र को घर की उत्तर दिशा में लगाना श्रेष्ठ रहता है। महाशिवरात्रि के शुभ दिन लाल रंग के वस्त्र धारण कर मंदिर जाएं। भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करें। माता गौरा को सुहाग की सामग्री अर्पित करें।