Let’s travel together.
nagar parisad bareli

झाबुआ जिले में भूसा महंगा होने से मवेशियों को खिला रहे तरबूज

30

झाबुआ ।  पांच हजार किसान परिवारों की उम्मीद इस साल ने तरबूज ने तोड़ दी है। किसानों को इसके उत्पादन की लागत छह रुपये प्रति किलो आई है, लेकिन थोक भाव सिर्फ साढ़े चार से पांच रुपये ही मिल पा रहे हैं, ऐसे में इनका तरबूज की खेती से मोह ही खत्म हो गया है। स्थिति यह है कि खेतों में पड़े-पड़े तरबूज सड़ रहे हैं। दूसरी ओर गेहूं का भूसा इस समय छह रुपये प्रति किलो मिल रहा है, ऐसे में किसान मवेशियों को तरबूज खिला रहे हैं। लगातार हर उपज के भाव गिरने की सूची में तरबूज ने भी खड़े होकर किसानों की कमर तोड़ डाली है। ऐसे में किसान आक्रोशित हैं। इनका कहना है कि महंगाई बढ़ने के साथ खेती की लागत बढ़ रही है और उस तुलना में उपज का भाव नहीं मिल रहा। यह स्थिति खेती को लेकर निराशा पैदा करती जा रही है।

बढ़ती लागत

वर्तमान में एक बीघा में तरबूज की फसल लेने का खर्च 41 हजार 500 रुपये आ रहा है। ट्रैक्टर के पांच हजार, मल्ब बिछाने के चार हजार 500, पौधे के 20 हजार, दवा के तीन हजार और श्रमिकों के तीन हजार रुपये लगते हैं। कुल मिलाकर छह रुपये प्रति किलो की लागत तरबूज आ रही है।

ऐसे बने हालात

रमजान माह शुरू होते ही खेतों से नौ रुपये प्रति किलो के भाव से तरबूज थोक में जाने लगा। कुछ दिन में ही मांग घट गई। ऐसे में भाव भी तेजी से नीचे गिरते हुए साढ़े चार से पांच रुपये प्रतिकिलो पर आ गए।

एक नजर में

– 2 हजार हेक्टेयर तरबूज का रकबा

– 1800 हेक्टेयर पिछले साल था

– 5 हजार के करीब किसान करते हैं खेती

– 2017 के बाद तरबूज लेने लगे किसान

मांग ही नहीं

पेटलावद क्षेत्र के तरबूज को काफी पसंद किया जाता है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा आदि राज्यों में यह फल जाता रहा है, लेकिन इस साल बिलकुल भी मांग नहीं है। अधिकतम 12 रुपये प्रति किलो तक का भाव किसानों को मिलता रहा है। माही नहर आने के बाद पिछले चार सालों से ही इसका उत्पादन लिया जाने लगा है।

यह है खास

तरबूज ग्रीष्म ऋतु का फल है। इसका सेवन शरीर में पानी की कमी को दूर करता है, क्योंकि 97 प्रतिशत इसमें पानी होता है। इसका सेवन कई रोगों से छुटकारा दिलाता है।

किसानों की पीड़ा

– कृष्णा पाटीदार का तरबूज काटकर गाय को खिलाने का वीडियो खूब बहुप्रसारित हुआ। इनका कहना है कि मेहनत से फसल तैयार करते हैं, मगर लागत भी नहीं निकलती है तो तकलीफ होती है।

– नूतन पाटीदार ने बताया कि टमाटर के भाव नहीं मिलने से निराश होकर तरबूज लगाए। अब इसकी लागत भी नहीं निकल रही है। ऐसे में खेती को लाभ का धंधा बनाने के सरकार के दावे पर ही सवाल उठ रहे हैं। सरकार भी कोई ठोस कदम नहीं उठाती।

– कैलाश सिंगार ने चार बीघा में तरबूज उगाया। इनका मानना है कि महंगाई बढ़ती जा रही है। पहले एक बीघा में फसल लेने का खर्च 20 हजार के लगभग ही आता था, जबकि अब 40 हजार से अधिक आ रहा है। उधर भाव गिर रहे हैं। उपज की लागत ही नहीं निकल रही।

सिर्फ जुमलेबाजी

भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष महेंद्र हामड़ का मानना है कि नीतियां किसानों के हित में बिल्कुल नही है इसलिए दिक्कत आ रही है। लगातार हर उपज के भाव औंधे मुंह गिर रहे हैं। लागत भी नहीं निकल पा रही।

कोई ठोस जवाब नहीं

इधर, अधिकारियों के पास कोई ठोस जवाब ही नहीं है। उद्यानिकी विभाग पेटलावद के एसडीओ सुरेश ईनवाती कहते हैं कि बेमौसम वर्षा होने से तरबूज की मांग घटी है।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

तलवार सहित माइकल मसीह नामक आरोपी गिरफ्तार     |     किराना दुकान की दीवार तोड़कर ढाई लाख का सामान ले उड़े चोर     |     गला रेतकर युवक की हत्या, ग़ैरतगंज सिलवानी मार्ग पर भंवरगढ़ तिराहे की घटना     |     गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठा नगर     |     नूरगंज पुलिस की बड़ी करवाई,10 मोटरसाइकिल सहित 13 जुआरियों को किया गिरफ्तार     |     सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर एसडीओपी शीला सुराणा ने संभाला मोर्चा     |     सरसी आइलैंड रिजॉर्ट (ब्यौहारी) में सुविधाओं को विस्तारित किया जाए- उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल     |     8 सितम्बर को ‘‘ब्रह्मरत्न’’ सम्मान पर विशेष राजेन्द्र शुक्ल: विंध्य के कायांतरण के पटकथाकार-डॉ. चन्द्रिका प्रसाद चंन्द्र     |     कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के छात्र कृषि विज्ञान केंद्र पर रहकर सीखेंगे खेती किसानी के गुण     |     अवैध रूप से शराब बिक्री करने वाला आरोपी कुणाल गिरफ्तार     |    

Don`t copy text!
पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9425036811