इस्तांबुल विश्व चैंपियनशिप में बीते वर्ष कांस्य पदक जीतने वाली कोसोवो की मुक्केबाज दोंजेता सादिकु ने विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप से नाम वापस ले लिया है। कोसोवो मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष ओस्मानी ने सोशल मीडिया पर आरोप मढ़ा है कि उन्हें दिल्ली में उनके देश के झंडे तले नहीं खेलने की अनुमति मिलने पर उन्होंने यह कदम उठाया है।
भारत सरकार की ओर से सर्बिया से अलग हुए कोसोवो को देश के रूप में मान्यता नहीं दी गई है, जिसके चलते सादिकु को 2018 की दिल्ली विश्व चैंपियनशिप और 2019 की गुवहाटी में हुई यूथ विश्व चैंपियनशिप में वीजा नहीं दिया गया था। इस बार भी उन्हें वीजा नहीं मिल रहा था, लेकिन 13 मार्च को उन्हें सोफिया (बुल्गारिया) में भारत आने का वीजा दे दिया गया। ओस्मानी का आरोप है कि वीजा जरूर दिया गया, लेकिन साथ में यह शर्त थोपी गई कि चैंपियनशिप के दौरान उन्हें कोसोवो के झंडे के इस्तेमाल की अनुमति नहीं होगी और न ही उनके देश के झंडे के ध्वजारोहण होगा। इसके बाद उन्होंने चैंपियनशिप से नाम वापस लिया।
आईबीए ने बयान में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय और भारतीय मुक्केबाजी संघ ने कोसोवो के दिल्ली चैंपियनशिप में भाग लेने का पूरा प्रयास किया, जिसमें भारत सरकार ने पूरा सहयोग दिया और वीजा प्रदान किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कोसोव की मुक्केबाज ने चैंपियनशिप में खेलने से इन्कार कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ हमेशा खिलाड़ी के उसके देश के झंडे तले खेलने के अधिकार के साथ खड़ी है, लेकिन वह दो देशों के कूटनीतिक रिश्तों को प्रभावित नहीं कर सकता है।
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