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एक पर एक होती महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों की मौत पर गरमाई सियासत

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कब अतिथि विद्वान काल के गाल में समा जाएं कहा नही जा सकता

डॉ. अनिल जैन

भोपाल।रिक्त पदों के विरुद्ध वर्षों से सेवा देने वाले महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर सूबे की सियासत आज़ फिर पूरे दिन गर्म रही।हो भी क्यों ना पिछले एक हफ़्ते से दो से तीन अतिथि विद्वानों की मौत हो चुकी है।

वहीं अतिथि विद्वानों ने आरोप लगाया है कि आर्थिक बदहाली और अनिश्चित भविष्य होने के कारण अतिथि विद्वान लगातार मानसिक तनाव में रहते हैं इसी कारण लगातार ऐसी घटनाएं घटित हो रही हैं।

अतिथि विद्वान महासंघ मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय के प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से आग्रह करते हुए कहा कि आप की उस संवेदना का अतिथि विद्वान आज भी इंतजार कर रहे हैं जो आप विपक्ष में रहते हुए 16 दिसंबर 2019 को साह जहानी पार्क भोपाल में अतिथि विद्वानों से दिखाई थी। डॉ पांडेय ने कहा की शिवराज सिंह चौहान एवं ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सभी भाजपा के नेता मंत्री विपक्ष में रहते हुए अतिथि विद्वानों को नियमित कर भविष्य सुरक्षित करने का वादा किया था पर जब से सरकार में आएं हैं तबसे एक कदम भी इस ओर नहीं उठाए हैं।आर्थिक बदहाली और अनिश्चित भविष्य के कारण ही अतिथि विद्वानों की ये हालत हो रही है।जबकि अतिथि विद्वान ही प्रवेश,परीक्षा प्रबंधन,अध्यापन,मूल्यांकन,नैक,रुसा आदि समस्त कार्य करते हैं।योग्य एवं अनुभवी भी है सरकार को तत्काल नियमित कर भविष्य सुरक्षित करना चाहिए।

वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा
अतिथि विद्वानों के मुद्दे पर विपक्ष भी सरकार पर हमलावर हो गया।हो भी क्यों ना क्योंकि जब कमलनाथ की सरकार थी तब शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में रहते हुए अतिथि विद्वानों के लिए सड़क से सदन तक आवाज बुलंद की थी तो अब कांग्रेस भी हमलवार हो गई।पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने ट्वीट करते हुए कहा कि कहां है दो दो टाइगर??अतिथि विद्वानों के लिए कब उतर रहे हैं अवसर वादी सिंधिया सड़क पर हम तो नोटशीट बना लिए थे नियमित करने के लिए 12 माह में ही अब ये क्या कर रहे हैं अतिथि विद्वानों के साथ 18 साल में,जवाबदारी से भाग क्यों रही है सरकार।तो वहीं विधायक कुणाल चौधरी ने भी घेरा सरकार को ट्वीट करते हुए कहा कि लाशों पर सियासत करने वाले कहां गई संवेदना??अभी और कितनी कुर्बानी देनी होगी अतिथि विद्वानों को अपने नियमितीकरण भविष्य सुरक्षित को लेकर??।तो वहीं प्रशांत पराशर युवा कांग्रेस और पीसीसी चीफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष वबेले ने भी सरकार पर निशाना साधा।


ऐसा लग रहा है कि चुनावी वर्ष में अतिथि विद्वानों का मुद्दा और उठेगा साथ ही शिवराज सिंह चौहान सरकार को विपक्ष और घेरेगा वहीं सरकार क्या निर्णय लेती है अतिथि विद्वानों के लिए ये आने वाले समय में जल्द पता चलेगा।

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