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आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई बातें, आज के समय में भी प्रासंगिक

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सैकड़ों वर्षों पूर्व आचार्य चाणक्य द्वारा कही गई बातें, आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और काफी हद तक सटीक साबित होती हैं. आचार्य की इन बातों से सीख लेकर व्यक्ति तमाम मुश्किलों से आसानी से निपट सकता है

कौटिल्य और विष्णुगुप्त के नाम से प्रसिद्ध आचार्य चाणक्य विलक्षण प्रतिभा के धनी थे और असाधारण और बुद्धि के स्वामी थे. आचार्य ने अपने बुद्धि कौशल की बदौलत समूचे नंदवंश का नाश कर चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था. मौर्य साम्राज्य की स्थापना में इनका परम योगदान माना जाता है.आचार्य चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में साधारण जीवन व्यतीत करते थे और हमेशा लोगों के हित के लिए काम करते थे.

आचार्य ने तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षक कार्य करते हुए तमाम लोगों का भविष्य उज्जवल किया. उसी दौरान उन्होंने अनेकों रचनाएं कीं. उन रचनाओं में से अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र आज भी काफी प्रसिद्ध हैं. नीतिशास्त्र को लोग ‘चाणक्य नीति’ के नाम से भी जानते हैं. सैकड़ों वर्षों पूर्व आचार्य ने नीतिशास्त्र में जो बातें लिखीं थीं, वो आज के समय में भी सार्थक सिद्ध हो रही हैं. आज के समय में लोग अगर चाहें तो आचार्य की बातों को समझकर और उनका पालन करके अपने जीवन की तमाम मुश्किलों से आसानी से निपट सकते हैं. जानिए आचार्य चाणक्य द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन.

1. मूर्ख लोगों से कभी वाद-विवाद नहीं करनाचाहिए क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय नष्ट करते है.

2. ऋण, शत्रु और रोग को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए. इन्हें जल्द से जल्द चुका देना चाहिए.

3. भगवान मूर्तियों मे नहीं बसता. आपकी अनुभूति ही आपका ईश्वर है और आत्मा आपका मंदिर.

4. भाग्य भी उन्हीं का साथ देता है जो कठिन से कठिन स्थितियों में भी अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते हैं.

5. जो आपकी बात को सुनते हुए इधर-उधर देखे उस आदमी पर कभी भी विश्वास न करे.

6. दूसरों की गलतियों से सीखो, अगर अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने का प्रयास करोगे तो आयु कम पड़ जाएगी.

7. किस्मत के सहारे चलना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है. ऐसे लोगों को बर्बाद होने में वक्त नहीं लगता है.

8. कोई भी व्यक्ति ऊंचे स्थान पर बैठकर ऊंचा नहीं हो जाता बल्कि हमेशा अपने गुणों से ऊंचा होता है.

9. उस स्थान पर एक पल भी नहीं ठहरना चाहिए जहां आपकी इज्जत न हो, जहां आप अपनी जीविका नहीं चला सकते, जहां आपका कोई दोस्त नहीं हो और जहां ज्ञान की तनिक भी बातें न हों.

10. जिस तरह एक सुगंध भरे वृक्ष से सारा जंगल महक जाता है, उसी तरह एक गुणवान पुत्र से सारे कुल का नाम रौशन हो जाता है.

 

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