भोपाल । वोट अधिक, लेकिन सीटें कम…2018 के विधानसभा चुनाव में यह दर्द झेल चुकी भाजपा अब बेहद सतर्क है। पार्टी ने उन 13 सीटों पर फोकस बढ़ा दिया है, जहां जीत-हार का अंतर 1300 वोटों से कम था। इनमें से छह तो भाजपा ने जीत लीं, लेकिन सात पर उसे पराजय का सामना करना पड़ा था। सात सीटों पर हार-जीत का अंतर नोटा को मिले वोटों से भी कम था, यानी यहां नोटा को ये वोट नहीं मिलते तो वर्ष 2018 में भाजपा को कुल 116 सीटें मिल जाती और भाजपा की सरकार बन जाती। इन 13 सीटों में से जीत वाली सीटों पर वोट बढ़ाने और हारी हुई सीट पर जीत की रणनीति तैयार की जा रही है। यही नहीं, इस चुनाव में पार्टी को कुल 41.6 प्रतिशत वोट मिले, लेकिन सीटें 109, जबकि कांग्रेस 41.5 प्रतिशत वोट पाकर 114 सीटें जीत गई थी। जौरा, बीना, कोलारस, इंदौर-5, थांदला, नागौद सीटें ऐसी रहीं, जहां भाजपा की जीत का अंतर 1300 से भी कम वोटों का था। इन सीटों पर कब्जा बरकरार रखने के साथ जीत का अंतर बड़ा करने की चुनौती को लेकर पार्टी तैयारी कर रही है।दरअसल, भाजपा ने वोट शेयर 51 प्रतिशत तक पहुंचाने के लिए जो रोडमैप तैयार किया है, उसमें कम अंतर की सीटों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इन सीटों के जातिगत समीकरणों को बारीकी से खंगाला जा रहा है। इस बार विधानसभा चुनाव में आदिवासी के साथ ओबीसी वोटों को जोड़ने पर जोर है।
2018 में इन सीटों पर कम अंतर से जीती भाजपा
विस सीट——अंतर —— विजयी प्रत्याशी
जौरा— 511— राजेंद्र पांडेय राजू भैया
बीना— 632— महेश राय
कोलारस— 720— बीरेंद्र रघुवंशी
इंदौर—5— 1133— महेंद्र हार्डिया
चांदला— 1177— राजेश कुमार प्रजापति
नागौद— 1234— नागेंद्र सिंह
कांग्रेस के सामने भी चुनौती
नोटा की वजह से सात सीटों ग्वालियर (दक्षिण), जबलपुर (उत्तर), ब्यावरा, दमोह, राजनगर, राजपुर में कांग्रेस को कम अंतर से जीत मिली थी। कांग्रेस के सामने ऐसी सीटों पर जीत का अंतर बढ़ाने की चुनौती है। हालांकि नगरीय निकाय चुनावों में ग्वालियर, जबलपुर में सफलता ने उम्मीदों को मजबूती दी है। पार्टी सत्ता में करीब 15 महीने तक ही रही और अब विपक्ष में है, तो भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर है और एंटी इन्कंबेंसी को धार देने के साथ सत्ता के जादुई आंकड़े तक पहुंचने की कोशिश करेगी।
2018 में इन सीटों पर बेहद कम अंतर से जीती कांग्रेस
विस सीट——अंतर —— विजयी प्रत्याशी
जबलपुर उत्तर— 578— विनय सक्सेना
ग्वालियर दक्षिण— 121— प्रवीण पाठक
ब्यावरा— 826— गोवर्धन दांगी
राजनगर— 732— विक्रम सिंह नातीराजा
दमोह— 798— राहुल सिंह
राजपुर— 932— बाला बच्चन
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