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चुनावी रण : शिवराज और कमल नाथ के बीच होंगे तीखे प्रहार-अरुण पटेल

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आलेख
अरुण पटेल

सूर्य देवता के उत्तरायण होते ही सियासत फिर नये सिरे से परवान चढ़ेगी और विपक्षी दल जहां देश में एकजुट होने की कोशिश करते नजर आयेंगे तो वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होना है इसलिए सत्ता की दावेदार भाजपा और कांग्रेस दोनों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा के परवान चढ़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी जंग तेज होगी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तेवर भी अब दिन-प्रतिदिन तल्ख होते जायेंगे और एक-दूसरे पर आरोपों के प्रक्षेपास्त्र छोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे। शब्दों में ऐसी तल्खी देखने को मिल सकती है जिससे कई बार शाब्दिक मर्यादा तार-तार होती नजर आये इस संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समापन के अवसर पर 30 जनवरी को समान विचारधारा वाले 21 दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों को पत्र लिखकर आमंत्रित किया है जिससे यह संकेत मिलता है कि विपक्षी एकता के प्रयासों को अब तेज करने की कवायद चालू होने वाली है। इस प्रकार विपक्षी राजनीति की एकजुटता कहां तक सफल होगी यह बहुत कुछ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव और आम आदमी पार्टी के संयोजक तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के रुख पर निर्भर करेगी।
2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पूरी तरह चाक-चौबंद होते हुए इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि फिर से मोदी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बने, तो विपक्षी दल भी अचानक कुछ उत्साहित नजर आने लगे हैं और विपक्षी एकता की बात चल पड़ी है। लेकिन विपक्षी दल की एकता कितनी होगी और कार्यक्रमों के आधार पर होगी या फिर नेतृत्व के मुद्दे पर विपक्षी एकता बिखरती नजर आयेगी, यह आने वाले कुछ समय में स्पष्ट हो जायेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार तथा शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट सुप्रीमो उद्धव ठाकरे का यह मानना है कि कांग्रेस के बिना कोई भी व्यवहारिक गठबंधन नहीं बन सकता जो भाजपा को चुनौती दे सके। जहां तक तामिलनाडु का सवाल है डीएमके नेता और वहां के मुख्यमंत्री स्टालिन को कांग्रेस से कोई परहेज नहीं रहा है बल्कि वह सहयोगी हैं और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर मौजूद थे। भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर जिन पार्टियों के प्रमुखों को न्यौता दिया गया है उनमें टीआरएस जो अब बीआरएस हो गई है तथा आम आदमी पार्टी भी शामिल नहीं हैं। 30 जनवरी को पहले तो यह पता चल जायेगा कि इनमें से किस-किस दल के नेता शामिल होते हैं और उसके बाद जो छूट गए हैं उनसे मिलकर कैसे विपक्षी एकता मजबूत होगी यह पता चल सकेगा।
मध्यप्रदेश में भिड़ते नजर आयेंगे ‘शिव‘ और ‘कमल
भाजपा अब जहां सत्ता व संगठन में जरुरी होगा वहां वांछित परिवर्तन की कवायद तेज करेगी तो वहीं कांग्रेस अब अपने को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए जो भी जरुरी संगठनात्मक बदलाव करना है उसमें तेजी लायेगी, क्योंकि अब एक प्रकार से विधानसभा तैयारियों की रणभेरी लगभग बज चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अनुसूचित जाति यानी दलित वर्ग को लेकर फिर से भाजपा के लिए मजबूत वोट बैंक तैयार करने रणनीति पर अमल आरम्भ कर दिया है। फिलहाल भाजपा की रणनीति अपने कब्जे की सीटों को बचाये रखने के साथ ही कांग्रेस की कमजोर सीटों पर जीत दर्ज करने की है जिन्हें वह जीतकर फिर एक बार अपने शानदार प्रदर्शन का रिकार्ड दोहराना चाहती है। अब वह किसी भी सूरत में 2018 के विधानसभा चुनाव में अति आत्मविश्वास में गच्चा खा गई थी उससे सबक लेते हुए हर मतदान केन्द्र पर 51 प्रतिशत मत प्राप्त करने के लक्ष्य को लेकर चल रही है। दलित मतदाता पिछले विधानसभा चुनाव से भाजपा और बसपा से छिटक कर कांग्रेस की तरफ खिसक आया है उसे फिर से भाजपा के साथ जोड़ने के लिए शिवराज जुट गए हैं और उनका दावा है कि अनुसूचित जाति का भाजपा पर भरोसा है। बाबा साहब आम्बेडकर की जन्मस्थली महू की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि 1990 में पटवाजी की सरकार के समय महू स्थित जन्मस्थली को तीर्थ बनाने के लिए शिलान्यास किया गया लेकिन उसके बाद कांग्रेस की सरकार ने उसमें एक भी ईंट नहीं लगाई, जब भाजपा की सरकार बनी तब हमने उस पवित्र स्थल को तीर्थस्थल बनाया। मुख्यमंत्री निवास में आयोजित अनुसूचित जाति के सम्मेलन में शिवराज ने ऐलान किया कि हमारी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की सभी 22 हजार 800 पंचायतों, 313 रब्लाक मुख्यालयों तथा सभी जिलों में सन्त रविदासजी की जयंती धूमधाम से मनाई जायेगी। इस अवसर पर सागर में महाकुंभ पांच फरवरी को आयोजित किया जायेगा तो 14 अप्रैल को ग्वालियर में आम्बेडकर महाकुंभ आहूत किया जायेगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता हमारा मूल मंत्र है लेकिन जो सामाजिक रुप से पिछड़े एवं गरीब है उनकी सरकार पहले है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि यह सामान्य बात नहीं है कि भाजपा सरकार व संगठन ने अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक काम किए हैं। यह एक अटूट सत्य है कि भारत की एकता व अखंडता बनाये रखने का काम डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर ने किया था। शर्मा का कहना था कि कांग्रेस ने कभी भी बाबा साहब का सम्मान नहीं किया। भाजपा अनुसूचित मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालसिंह आर्य ने दावा किया कि देश में दलित समाज की हितैषी कोई पार्टी है तो वह भाजपा है और दलित हितैषी कोई नेता हैं तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी अब धीरे-धीरे मैदान में सक्रिय होते जा रहे हैं। कांग्रेस का फोकस पिछले चुनाव में हारी हुई सीटों पर है और इन सीटों पर कमलनाथ के दौरे का रोडमैप तैयार हो गया है। कमलनाथ की नजर इन दिनों भाजपा की गढ़ बन चुकी विधानसभा सीटों पर है। लम्बे समय से जिन सीटों पर कांग्रेस हार रही है उसको लेकर कमलनाथ ने एक एक्शन प्लान बनाया है उन पर अपना दौरा तेज कर रहे हैं। इसी कड़ी में वह आज रविवार को बैतूल जिले के आमला पहुंचे और वहां जनसभा को सम्बोधित किया। यहां पर मंडलम और सेक्टर कमेटियों की बैठक भी हुई। इसके बाद बालाघाट और टीकमगढ़ जिले में जाने का कार्यक्रम भी तैयार हो रहा है। कांग्रेस की रणनीति यह भी है कि जिन सीटों पर वह लगातार हार रही है वहां पर उम्मीदवारों की घोषणा विधानसभा चुनाव से कम से कम चार माह पूर्व और अधिकतम 6 माह पूर्व कर दी जाए। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद से कांग्रेस काफी उत्साहित है और 26 जनवरी से वह मध्यप्रदेश में हाथ से हाथ जोड़ो अभियान का आगाज करेगी। इस अभियान में बूथ स्तर पर मतदाताओं से संपर्क बढ़ाने पर जोर रहेगा। जिन जिलों में पार्टी की स्थिति कमजोर है वहां सुस्त पड़े कार्यकर्ताओं व नेताओं को भी सक्रिय किया जायेगा और पार्टी के दिग्गज नेता पहुंचकर उनकी हौसला अफजाई करेंगे।
और यह भी
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सत्ता को बरकरार रखते हुए 2023 के अन्त में होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर से मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने की रणनीति को अंतिम रुप छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फरवरी माह में होने वाले कांग्रेस के 85वें राष्ट्रीय अधिवेशन में दिये जाने की संभावना है। उसके बाद तीनों ही राज्यों में कांग्रेस अपनी सरकार बनाने की रणनीति को अपने तईं मूर्तरुप देकर चुनावी समर में पूरी ताकत से कूदेगी।

लेखक सुबह सवेरे के प्रबंध संपादक हैं
-सम्पर्क: 9425010804, 7999673990

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