तेल अवीव। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाली इजरायल की नई सरकार की नीतियों के खिलाफ हजारों लोग गत दिवस सड़कों पर उतर आए। विरोधियों का कहना है कि ये नीतियां लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। देश के 74 साल के इतिहास में पहली बार गठित धुर दक्षिणपंथी और धार्मिक रूढ़िवादी सरकार के शपथ ग्रहण के कुछ दिन बाद प्रदर्शनकारी मध्य शहर तेल अवीव में जमा हुए। उन्होंने तख्ती थाम रखी थी जिन पर लिखा था कि नई सरकार हमारे खिलाफ है। कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में सतरंगी झंडे थे। प्रदर्शन वाम धड़े और इजरायल की संसद नेसेट के अरब सदस्यों ने किया। उन्होंने आरोप लगाया कि नई कैबिनेट के प्रस्तावित कदम न्याय तंत्र में अड़चन डालेंगे और सामाजिक दूरियां बढ़ाएंगे। वाम धड़े के प्रदर्शनकारियों ने न्याय मंत्री यारिव लेविन की आलोचना की जिन्होंने बुधवार को न्यायिक प्रणाली में सुधार से संबंधित सरकारी योजना को अमलीजामा पहनाने का खाका पेश किया था। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इस कदम का मकसद देश की सर्वोच्च न्यायालय को कमजोर करना है। आलोचकों ने सरकार पर न्याय प्रणाली के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे सरकार को असीम शक्तियां मिलेंगी और लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होंगी। मीडिया के अनुसार एक प्रदर्शनकारी डैनी सिमोन का कहना है कि हमें वाकई में डर है कि हमारा देश लोकतंत्र को खो देगा और हम केवल एक व्यक्ति की वजह से तानाशाही की ओर जा रहे हैं जो अपने खिलाफ चलाए जा रहे मुकदमों से छुटकारा पाना चाहता है। सिमोन का इशारा प्रधानमंत्री नेतन्याहू की तरफ था जिन पर 2021 में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे। हालांकि उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है। प्रदर्शनकारियों ने देश के यहूदी और अरब निवासियों के बीच शांति और सह-अस्तित्व का भी आह्वान किया। अरब और यहूदी नागरिकों के जमीनी आंदोलन स्टैंडिंग टुगेदर के रुला दाउद ने कहा कि हम अभी देख सकते हैं कि एलजीबीटीक्यू के खिलाफ फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजरायल में प्रमुख अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ कई कानूनों की वकालत की जा रही है। उन्होंने कहा कि हम यहां जोर-शोर से और स्पष्ट रूप से यह कहने के लिए जुटे हैं कि इजराइल में अरब और यहूदी नागरिकों सहित विभिन्न समुदाय के लोग शांति समानता और न्याय की चाह रखते हैं।
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