भाेपाल । पानी की उपयोगिता को देखते हुए जल संरक्षण और संवर्धन पर काम करने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को लेकर देशभर के जल मंत्री और इससे जुड़े अधिकारी भोपाल में एकत्र हुए हैं। पेयजल, शौचालय, कपड़े धोने, गार्डन और मांस सहित अन्य उद्योगों पर केवल 10 प्रतिशत पानी का उपयोग होता है। सबसे ज्यादा 90 प्रतिशत पानी खेतों में लगता है। फसलों में पानी का उपयोग कम कैसे हो, इस पर काम करने की जरूरत है। यह बात गुरूवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही। वे प्रथम अखिल भारतीय राज्य मंत्रियों का सम्मेलन वाटर विजन @2047 को संबोधित करने भोपाल आए हुए हैं। पानी की उपयोगिता, चुनौतियां और समाधान से जुड़े तीन सवालों पर केंद्रीय मंत्री शेखावत के बेबाक बोल।
प्रश्न : जल संरक्षण पर भारत सरकार क्या काम कर रही है ?
उत्तर : भारत सरकार पानी पर दुनिया का सबसे बड़ा प्रोग्राम चला रही है। हम ऐरीगेशन कमान जनरेशन का दुनिया का सबसे बड़ा प्रोग्राम (पीएमकेएसवाय) चला रहे हैं। दुनिया का सबसे बड़ा ग्राउंड वाटर रिचार्ज प्रोग्राम चला रहे हैं। सबसे बड़ा डेम रिहेबिलिटेशन प्रोग्राम चला रहे हैं। हमे पानी के स्टोरेज को बढ़ाने की जरूरत है। सबसे बड़ा माइक्रो एरिगेशन प्रोग्राम चला रहे हैं। हम जो काम कर रहे है सबसे बड़ा ही कर रहे हैं।
प्रश्न : जैसे- जैसे जल जीवन मिशन बढ़ रहा है, वैसे- वैसे ग्रे वाटर की जनरेशन भी बढ़ रही है, इसका क्या साल्युशन होगा?
उत्तर : स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन में दोनों को एकसाथ किया है। स्वच्छ भारत मिशन में पहले से हम शौचालय बनाने का काम कर रहे थे। गांव में सालिड और लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर्स को क्रिएट करके उनकी व्यवस्था करने पर काम कर रहे हैं। देश के छह लाख गांवों में से डेढ़ लाख गांव ने ओडीएस प्लस का स्टेटस पाया है, जहां ग्रे वाटर डिस्पोजल ट्रीटमेंट या सालिड वेस्ट के नवाचार हो चुके हैं। हम प्रयास कर रहे हैं बाकी राज्य भी इसको गति प्रदान करते हुए इसे पूरा करें।
प्रश्न : शहरी व्यवस्था में पानी का अधिक उपयोग होता है, मांस इंडस्ट्री में भी पानी की अधिक उपयोगिता है ?
उत्तर : ऐसा नहीं है, पीने में, शौचालय में, कपड़े धोने में, गाड़ी धोने में, गार्डन में पांच प्रतिशत और मांस इंडस्ट्री सहित अन्य उद्योगों के उपयोग में पांच प्रतिशत इस तरह 10 प्रतिशत पानी उपयोग हो रहा है। शेष 90 प्रतिशत पानी खेती में काम में आता है। कृषि में ज्यादा काम करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्र में उपयोग किए हुए पानी को ट्रीट करके वापस काम में ले सकते हैं। शहरों के अलावा गांव के पानी को भी ट्रीटेड करके उपयोग में लिया जा सकता है। गन्ना, कपास जैसी फसलों में पानी का कैसे कम उपयोग हो, नदियों में पानी कैसे आए उन पर काम कर रहे हैं। इन्हीं सब विषयों पर काम करने के लिए विभिन्न राज्यों के मंत्रियों के साथ बैठेंगे और बात करेंगे।
हरियाणा में ट्रीटेट वाटर के उपयोग पर अधिक जोर दे रही सरकार
हरियाणा का माडल भूमिगत जल और प्रदूषित जल को शुद्व कर उपयोग करने पर काम कर रहा है। 90 प्रतिशत पानी कृषि और उद्यानिकी क्षेत्र में उपयोग हो रहा है। जब तक डीएसआर, क्राप डायवर्सिफिकेशन नहीं करेंगे, जब तक मौसम के अनुसार उपज का प्लान तैयार नहीं करेंगे, तब तक हम कोई रिजल्ट नहीं दे पाएंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में नल जल योजना संचालित हो रही है अब हमारा प्रयास है कि लाेगों को पानी बचाने के प्रति जागरूक करें। ग्रामीण क्षेत्रों में हमारा प्रयास है कि जहां भू स्रोत से जल आ रहा था, वह नहर से आ जाए। जहां भूजल उपयोग हो रहा है वहां नहर के पानी का उपयोग हो और जहां नहर के पानी का उपयोग रहा है वहां ट्रीटेड वाटर का उपयोग हो। हम ट्रीटेट वाटर कृषि के लिए उपयोग करने जा रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम 2030 तक 80 प्रतिशत ट्रीटेड वाटर उपयोग कर सकें।
-केशनी आनंद अरोरा, चेयरपर्सन, हरियाणा वाटर रिसोर्स अथारिट
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