-देश में असल परिवर्तन समाज लेकर आया है
“भारत प्राचीन काल से ही गणराज्य रहा है”
-“नई शिक्षा नीति से ही आगे परिवर्तन होंगे”
-कार्यक्रम के दौरान ‘ए मेरे वतन के लोगों’ की प्रस्तुति ने किया भाव विभोर
साँची/रायसेन। सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में 73वां गणतंत्र दिवस कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए हर्षोल्लास के साथ मनाया
गया।
विश्वविद्यालय में आयोजित ध्वजारोहण कार्यक्रम के बाद कुलसचिव प्रो. अलकेश चतुर्वेदी ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही गणतंत्र चला आया है। उन्होंने बताया कि अवंतिका और चेदि गणराज्य की सीमा सांची तक थीं और यहां पर भी गणतंत्र हुआ करता था।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने संविधान के गठन के बारे में बताया कि 20 घंटे इस बारे में गहन विचार किया गया कि भारतीय संविधान का पहला शब्द क्या होना चाहिए। इस के बाद ही पहला वाक्य “मैं भारत का संविधान हूँ” लिखा गया। कुलपति महोदया ने बताया कि भारत के राष्ट्रगान को लेकर 40 दिनों तक विचार विमर्श किया गया। उनका कहना था कि संविधान का एक-एक शब्द चुनकर संविधान की प्रारूप समिति ने देश के नागरिकों को दिया।
कुलपति डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा वैसे तो यूक्रेन, चीन, दक्षिण कोरिया, पाकिस्तान इत्यादि देश कहने को प्रजातंत्र हैं लेकिन क्या इन देशों में वाक़ई प्रजातंत्र है?
कुलपति महोदया ने कहा कि हमारे देश में असल परिवर्तन समाज लेकर आया है। समाज बदल रहा है, अलग तरह से सोच रहा है। संस्कृति इत्यादि के बोध के साथ युवा ही सम्पूर्ण विश्व में आज आधुनिक भारत का पर्याय बना हुआ है। उन्होंने पद्मश्री की सूची में सम्मिलित लोगों का ज़िक्र करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से ही और परिवर्तन होंगे, क्योंकि पुरानी शिक्षा नीति ने पिछले 70 सालों में सिर्फ पढ़े लिखे बेरोज़गार ही बनाये हैं।
सांची विश्वविद्यालय में इस कार्यक्रम के दौरान 10 साल के नैवैद्य बचले ने “ए मेरे वतन के लोगों” की हारमोनियम पर प्रस्तुति देकर सभी को भाव विभोर कर दिया।