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दश धर्मों में उत्तम आकृति धर्म एक तू भावना का प्रतीक है -निर्यातक सरवन मुनि श्री

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शरद शर्मा बेगमगंज रायसेन

दश धर्मों में उत्तम आकृति धर्म एक तू भावना का प्रतीक है जिसका सार यह है कि धन-धन संपत्ति और संबंधी यह सभी मेरे ना हुए हैं और ना कभी होंगे इस तरह की आध्यात्मिक अनुभूति का नाम उत्तमा कंचन में धर्म है थोड़ा सा भी भार व्यक्ति को यात्रा में बाधक बनता है ऊंचाइयां चढ़ने में बाधक बनता है इसलिए जैसे ऊंचाइयां चढ़ना है अपने जीवन का बोझ भार कम करना पड़ेगा तराजू का भारी पलड़ा नीचे जाता है हल्का पलड़ा ऊपर की ओर आता है बाहरी ग्रहों के त्याग के बावजूद भी मन में जो यह भाव तेरे मेरे मन का है मन में जो भाव मन तो करता है उसे के त्याग करने का नाम ही आ कंचन है कंचन का अर्थ निर्विकल्प का तेरे मेरे का भाव समाप्त होना।

उक्त आशय के विचार निर्यातक सरवन मुनि श्री 10 10 10 महाराज जी ने संस्कार शिविर में विशाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए प्रकट किए उन्होंने कहा की इसी अवसर पर मुनि श्री महा सागर जी महाराज ने कहां की संसारी प्राणी व्यर्थ के मोह माया के चक्कर में फंसा रहता है जबकि यह सभी जानते हैं कि कोई हमारे साथ जाने वाला नहीं है आप अकेला अवतरे मरे अकेला होए यूं कहो कि इस जीव को साथी सगाना कोई इन पंक्तियों का विस्तार करते हुए मुनि श्री महा सागर जी महाराज ने समस्त सभा को संबोधित करते हुए अपने मार्मिक और धार्मिक प्रवचन सभी को प्रदान किए आज दिवस प्रातः कालीन बेला में अभिषेक श्री जी के अभिषेक की

संपन्नता के साथ शांति धारा के पुण्याचे परिवारों में प्रथम सौभाग्यशाली परिवार दशरथ बेगमगंज निवासी रहे द्वितीय शांति धारा के पुण्य अर्जक श्री सुदर्शन कौशल सिवनी से रहे उनके साथ शिविर के संयोजक प्रभात गोयल एवं नरेंद्र जैन सिवनी के बंधु भी सम्मिलित रहे आज विशेष शांति धारा में अपना पूजन करने वाले श्रीमान राजाराम जी जैन वृत्ति श्रावक सप्तम प्रतिमा धारी भर्ती श्रावक राजारामजी जननी देवरी शैलेश जैन दमोह एवं ब्रह्मचारिणी बबीता दीदी के परिवार ने अपना जन प्राप्त किया जिसमें विशेष रूप से पारस जैन पारस महाजन अमरावती संजय त्रिमूर्ति सिलवानी शैलेश जैन दमोह सम्मिलित रहे।

इन सभी महानुभावों ने दीप प्रज्वलन कर मुनि संघ को शास्त्र भी किए दीप प्रज्वलन में विशेष रुप से शांति धारा करता परिवार के साथ समस्त कर्मचारी भाइयों को अवसर दिया गया जिसमें ब्रह्मचारी अनूप भैया जी विदिशा ब्रह्मचारी अजय भैया जी बेगमगंज वीरेंद्र कुमार जी जैन हरपालपुर आदि प्रमुख रूप से सम्मिलित हुए पालन करने का सौभाग्य नन्ही देवरी एवं जैसीनगर के मुनि श्री और इलेक्शन के परिवारी जनों को प्राप्त हुआ इस अवसर पर विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित हुए नीलेश जैन निलेश सोमानी मां से महाराष्ट्र एवं उनका परिवार श्रीफल अर्पण कर शास्त्र भेंट किए एवं उनका सम्मान समिति के द्वारा किया गया।

इस अवसर पर विशेष प्रस्तुति धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रस्तुति के रूप में योगाचार्य झोपड़े महाराष्ट्र वालों ने गुरुवर आचार्य श्री द्वारा लिखित भजन अब मैं मन मंदिर में रहूंगा अब मैं मन मंदिर में रहूंगा इस भजन पर संगीत में कलात्मक तरीके से सभा में प्रस्तुति दी प्रस्तुति दी जिसे देखकर संपूर्ण सभा मंडप तालियों की गड़गड़ाहट और गुरुवर आचार्य विद्यासागर जी महाराज के जय जय कार के नारों से गुंजायमान हो उठा जिनवाणी स्तुति पूर्वक सभा का विसर्जन किया गया सभा का समापन किया गया

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