आलेख
भाजपा की डेढ़ दशक की सत्ता को उखाड़ने और कांग्रेस की सरकार बनाने में अहम् योगदान ग्वालियर-चम्बल संभाग और महाकौशल का रहा है। अब लम्बे समय तक मध्य्प्रदेश के सत्ताशीर्ष पर भाजपा ही रहे इसकी रणनीति बनाने की दिशा में शिवराज सरकार और भाजपा संगठन सधे हुए कदमों से आगे बढ़ रहा है। 169 नगरीय निकायों में से 151 में अपनी जीत का परचम लहराने और कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में तीन परिषदों में अपने अध्यक्ष बनवाने के बाद अब मिशन 2023 की सफलता के लिए भाजपा अभी से जुट गई है। ग्वालियर-चम्बल सम्भाग ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण कांग्रेस का एक मजबूत गढ़ 2018 के विधानसभा चुनाव में बनकर उभरा था। सिंधिया को अपने पाले में मिलाकर फिर सरकार बनाने तथा उन्हें केंद्र में मंत्री बनाने के बाद अब भाजपा उस तरफ से एक प्रकार से बेफिक्र हो गयी है और उसे भरोसा है कि अब केवल दिग्विजय सिंह को छोड़कर कोई अन्य बड़ा नेता इस अंचल में कांग्रेस का नहीं है। कांग्रेस की उम्मीद भी अब इस अंचल में सफलता के लिए दिग्विजय सिंह पर ही टिकी हुई है और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी इसी इलाके के हैं। कांग्रेस इस अंचल में इस आधार पर उम्मीद लगाये बैठी है कि उसने इस इलाके में दो महापौर जो भाजपा के थे उनके स्थान पर अपने उम्मीउदवारों को महापौर बनवा लिया है, हालांकि पार्षदों में भाजपा का ही बोलवाला रहा है। महाकौशल के जबलपुर और विंध्य अंचल के रीवा में कांग्रेस के महापौर बने हैं। भाजपा को भरोसा है कि दिग्विजय सिंह के असर वाले इलाके में तो सिंधिया सेंध लगा ही देंगे इसलिए अब कांग्रेस के दूसरे गढ़ छिंदवाड़ा में कमलनाथ की घेराबंदी करना भाजपा ने करना प्रारंभ कर दी है। यही कारण है कि पार्टी ने केंद्रीय ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह को तीन दिन के प्रवास पर छिंदवाड़ा भेजा है। सौंसर में गिरिराज सिंह ने कहा कि 2024 में फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और इसमें छिंदवाड़ा लोकसभा सीट भी शामिल रहेगी। 1980 से ही थोड़े से अंतराल को छोड़कर इस सीट पर कमलनाथ परिवार का ही कब्जा रहा है। केवल एक उपचुनाव में जो स्वयं कमलनाथ ने ही अपनी पत्नी से त्यागपत्र दिलाकर करवा लिया था उसमें सुंदरलाल पटवा चुनाव जीत गये थे। इसके अलावा कमलनाथ, उनकी पत्नी अलकानाथ सांसद रहे हैं और अब उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं। गिरिराज सिंह का दावा है कि अब अगला चुनाव नकुल नाथ भी हार जायेंगे। गुना जो सिंधिया परिवार का मजबूत गढ़ रहा है वहां से किसी जमाने में सिंधिया के समर्थक रहे के.पी. यादव ने भाजपा उम्मीदवार के रुप में ज्योतिरादित्य को पराजित कर दिया था। संभवतः सिंधिया को लगा कि इसमें कमलनाथ व दिग्विजय की ही भूमिका रही और उन्होंने कमलनाथ सरकार गिराकर ही दम लिया। कमलनाथ अपने प्रभाव क्षेत्र छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद रहे हैं और मोदी की प्रचंड लहर में इस सीट पर उनके बेटे नकुलनाथ चुनाव जीते। प्रदेश में यही एकमात्र ऐसी सीट है जो कांग्रेस की झोली मे गयी है । इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी सात विधायक भी कांग्रेस के ही हैं। हाल ही में हुए निकायों और पंचायत चुनाव में महापौर व जिला पंचायत अध्यक्ष भी कांग्रेस का ही जीता है। कांग्रेस के गढ़ बन चुके छिंदवाड़ा में भाजपा को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने का काम अब पार्टी ने गिरिराज सिंह को सौंपा है। इससे पहले पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को यह जिम्मेवारी दी थी और उनका दौरा कार्यक्रम भी तय हो गया था लेकिन वे वहां नहीं जा पाये। अब गिरिराज सिंह इस अभियान पर लगाये गये हैं और देखने वाली बात यही होगी वे कमलनाथ के इस गढ़ में सेंध लगा पाते हैं या नहीं। हालांकि प्रदेश कांग्रेसके मीडिया विभाग के अध्यक्ष तथा महामंत्री के.के. मिश्रा का कहना है कि गिरिराज सिंह के छिंदवाड़ा दौरे से पार्टी चिंतित नहीं है। यह पहली बार नहीं है जब भाजपा ने कमलनाथ से मुकाबला करने के लिए किसी को भेजा हो, इसके पहले भी समय-समय पर वह छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी वरिष्ठ नेताओं को सौंप चुकी है पर वे कमलनाथ के जिले की जनता के साथ पारिवारिक संबंध को वे प्रभावित नहीं कर सके। अब यह तो बाद में ही पता चलेगा कि मिश्रा के दावे में कितना दम है।
-लेखक राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार हैं।