एकांतवास में 15 दिनों तक रहने के बाद भगवान गुरुवार की शाम में नेत्रदान के बाद भक्तों को दर्शन देंगे। इसके साथ ही ऐतिहासिक रथ यात्रा की तैयारी शुरू हो जाएगी। जगन्नाथपुर में श्री जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह से बाहर आने के बाद भगवान का नेत्रदान अनुष्ठान होगा। यह अनुष्ठान दिन के साढ़े चार बजे से आरंभ होगा। पांच बजे से श्रद्धालुओं के लिए दर्शन सुलभ होगा। आरती के बाद भगवान जगन्नाथ, बलराम एवं सुभद्रा शयन करेंगे। श्री जगन्नाथ स्वामी 14 जून को स्नान एवं स्पर्श दर्शन के बाद एकांतवास के लिए गर्भगृह चले गए थे। इस दौरान कलाकारों ने विग्रहों का शृंगार किया था।
नेत्रदान के दूसरे दिन एक जुलाई को रथ यात्रा की तैयारी मंदिर समिति की ओर से पूरी कर ली गयी है। रथ यात्रा के लिए रथों के रंग-रोगन का काम पूरा हो गया है। कलाकारों ने रथ की साज-सज्जा और शृंगार कार्य आरंभ कर दिया है। जगत नियंता भगवान श्री जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम दोपहर में रथारूढ़ होंगे। इससे पूर्व सुबह चार बजे महाआरती होगी। सुबह पांच बजे से पूजन और दर्शन का क्रम शुरू होगा। दोपहर में लक्ष्यार्चना के बाद विग्रहों को रथारूढ़ किया जाएगा। इसके बाद ऐतिहासिक पारंपरिक रथ यात्रा आरंभ होगी। श्रद्धालु रथ को खींचकर मौसीबाड़ी ले जाएंगे। जहां भगवान नौ दिनों तक विश्राम करेंगे। नौ दिन के बाद घूरती रथ मेला होगा। विग्रहों को मौसी बाडी से रथ से मंदिर तक लाया जाएगा। इन नौ दिनों तक मंदिर परिसर में मेला लगेगा।
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