पीडब्ल्यूडी के जिस ईई को ऊर्जा मंत्री ने किया सम्मानित, उसी ने किया 7 करोड़ का घोटाला, एफआईआर के बाद अब किया गया निलंबित
– कार्यपालन मंत्री पर गिरी गाज, कमिश्नर ने किया निलंबित
रंजीत गुप्ता शिवपुरी
शिवपुरी के पीडब्ल्यूडी विभाग में 7 करोड रुपए के घोटाले के मामले में ग्वालियर संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने कार्रवाई की है। इस मामले में लोक निर्माण विभाग खण्ड क्रमांक-1 कार्यपालन यंत्री धर्मेन्द्र सिंह यादव को निलंबित कर दिया गया है।
ईई को प्रभारी मंत्री ने किया था सम्मानित –
शिवपुरी पीडब्ल्यूडी क्रमांक एक के ईई धर्मेंद्र यादव को बीते 26 जनवरी को शिवपुरी जिले के प्रभारी मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने अच्छे कार्य के लिए सम्मानित किया था। अब सोशल मीडिया पर उनके सम्मान को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि जिन्होंने करोड़ों रुपए का घोटाला किया जिन पर एफआईआर दर्ज हुई उनका 26 जनवरी पर किस आधार पर सम्मानित किया गया था। लोगों का कहना है कि इस सम्मान का प्रस्ताव भेजने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होना चाहिए।
कोतवाली में एफआईआर दर्ज होते ही गिरी गाज-
ग्वालियर संभाग आयुक्त मनोज खत्री ने शिवपुरी जिले के कार्यपालन यंत्री, लोकनिर्माण विभाग खण्ड क्रमांक-1 धर्मेन्द्र सिंह यादव को निलंबित कर दिया है। 7 करोड़ 15 लाख 911 के गबन में धर्मेंद्र यादव की भूमिका सामने आई है। इस घोटाले के आरोपियों पर शिवपुरी में एफआइआर भी दर्ज हो चुकी है। यादव का मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय शिवपुरी रहेगा। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी।
कलेक्टर ने कमिश्नर को भेजा था प्रतिवेदन-
शिवपुरी कलेक्टर रविंद्र चौधरी ने जांच प्रतिवेदन संभागायुक्त को भेजा था। इस प्रतिवेदन में बताया कि कार्यपालन यंत्री लोकनिर्माण विभाग खण्ड क्रमांक 1 धर्मेन्द्र यादव ने वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक 7 करोड़ 15 लाख 75 हजार 911 पांच खातों में हस्तांतरित किए। कार्यपालन यंत्री, संभागीय लेखाधिकारी, सहायक वर्ग 3 एवं आउटसोर्स कंपनियों के ऑपरेटर्स के साथ चार अन्य व्यक्तियों की संलिप्तता सामने आई।
गैंगमैनों के लिए आई 7 करोड़ की राशि दूसरे खातों में ट्रांसफर की-
डिप्टी कलेक्टर अनुपम शर्मा ने की अपनी जांच में बताया है कि 7 करोड़ के गबन में आरोपी बनाए गए सभी आरोपियों ने वर्ष 2018 से लेकर 2023 के बीच शासकीय खजाने को चपत लगाकर आर्थिक हानि पहुंचाई है। कार्यपालन यंत्रियों पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन सही से नहीं किया और इनकी लापरवाही व संलिप्ता के कारण शासन को 7 करोड़ का नुकसान हुआ है।