उदयपुरा रायसेन।श्रीरामचरितमानस विद्यापीठ के तत्वाधान, नित्य -सत्संग -सेवा- सिमरन ,कार्यक्रम मानस यात्रा के ग्राम खाडोन पहुंचने पर आयोजक हरि गोविंद बाबा जी एवं आयोजक समिति द्वारा पुष्प मालाओं से विद्वानों का स्वागत किया। आम वृक्ष के नीचे प्राकृतिक वातावरण में आयोजित सत्संग सभा में मानस ग्रंथ पूजन के साथ नर्मदा तट के विद्वान मानस प्रवक्ता संगीत आचार्य हरिदत्त शास्त्री ने सत्संग की महत्वता पर प्रकाश डालते हुए भरत चरित की व्याख्या की आपने कहा कि भगवान श्री राम स्वयं इस बात को कहते हैं कि परिवार का मुखिया मुख के समान होना चाहिए ।जिससे विवेक पूर्वक सभी अंगो का पालन पोषण कर सके ।श्री राम भरत संवाद, भरत जी को पादुका प्रदान करना। एवं श्री भरत जी की विदाई को मानस प्रवक्ता नर्मदा प्रसाद रामायणी, नरसिंहपुर ,,अमरनाथ विल धरिया ,कुंवर लाल रामायणी भोपाल ,आशीष शास्त्री ,कैलाश दुबे ,योगेश पांडे सहित पंडित नरेश शास्त्री भूपतपुर द्वारा संगीत मय सरस, सरल एवं भावपूर्ण शैली मैं श्री भरत की महिमा का गायन कर श्रोताओं को भाव विभोर किया।
राष्ट्रीय कवि गोविंद गोदानी द्वारा अपने स्वरचित भजन के माध्यम से श्रोताओं को आनंदित किया ।कार्यक्रम संयोजक चतुर नारायण अधिवक्ता ने बताया कि मानस यात्रा का उद्देश्य ग्रंथ एवं संतो के वचनामृत ओं को जन जन तक पहुंचा कर संस्कार ,संस्कृति एवं सद्भाव के वातावरण को परि कृषत किया जाना है ।
सत्संग सभा में विशिष्ट श्रोताओं में समाजसेवी राकेश पालीवाल ,मधु पटेल ,काशीराम लोधी, शेर सिंह लोधी ,रेवाराम ,प्रेम नारायण सरपंच, शिव कुमार राजपूत अधिवक्ता, चोखे मुकदम ,तवर धाकड़, अरुण कुमार उदेनिया, हरिशंकर चंद ली, फूल सिंह धाकड़ ,कमलेश मेहरा ,लक्ष्मण सिंह केकड़ा ,भरत सिंह राजपूत तुलसीराम सोनी ,बाबूलाल शिक्षक ,सहित विभिन्न ग्राम से पधारे हुए मानस प्रेमी श्रोताओं द्वारा सत्संग श्रवण कर ग्राम एवं क्षेत्र की सुख समृद्धि एवं सद्भाव के लिए मानस ग्रंथ की दिव्य आरती दर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया।