उदयपुरा रायसेन। मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीनतम मानस मंचों में से एक श्री रामचरितमानस सम्मेलन समिति पचामा के 58 वार्षिक उत्सव समारोह का भव्य समापन हुआ ।समापन दिवस पर नर्मदा अंचल की तपोनिष्ठ संत एवं कार्यक्रम के मुख्य कथा व्यास स्वामी नित्यानंद गिरी के साथ नर्मदा तट मांगरोल से ब्रह्मचारी जी महाराज के मुखारविंद से श्रोताओं को सत्संग लाभ प्राप्त हुआ, स्वामी नित्यानंद ने कहा कि अपने अंदर के दोषों को स्वीकार करना साधक का सबसे पहला लक्षण है ।
उन्होंने कहा की साधकों और सत्संगियों के ऊपर पूरे समाज की नजर रहती है ।सत्संगी के आचरण से समाज प्रभावित होता है जिस प्रकार गैरेज में काम करने वाले मैकेनिक के कपड़े पूरी तरह से काले आयल मैं रंगे होते हैं, जिन पर एक दो दाग और लग जाए तो वह समझ नहीं आते परंतु अगर कोई सफेद वस्त्र पहने हुए और एक छोटा सा भी दाग उसे पर लग जाए तो वह सभी की नजरों में आता है , सत्संग सुनने वालों पर समाज की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है , उन्होंने कहा कि जो संतों की एवं शास्त्रों की बात पर विश्वास नहीं करते उनकी निंदा करते हैं उनका बार-बार पतन होता है, महाराज ने भागवत मार्ग बताते हुए कहा कि भगवान तक पहुंचाने के मार्ग में केवल दो बाधाएं है स्वार्थ और अहंकार जो इन दोनो दोषों से जीत गया। उसके लिए भगवत प्राप्ति सुलभ है , सत्संग में ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा की ध्यान भजन योग तप और समाधि से बढ़कर सत्संग है, जिस प्रकार जोहरी रत्न का मूल्य एवं महत्व पता होता है, उसी प्रकार संतों को ईश्वर का महत्व पता होता है , अगर मुक्ति को सुलभ करना चाहते हो ,तो संतों का संग एवं सत्संग एवं भगवत स्मरण के लिए समय निकालें । मंच संचालक सुरेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि इन महान संतों की दिव्य वाणी को हम सभी अपने जीवन में उतारें , तभी हमारा जीवन सार्थक है , कार्यक्रम में ,दिव्यानंद जी महाराज सोनाडहार, नेपाली बाबा ,महंत निरंजन अखाड़ा ,सतहेरी महंत विजय रामदास, आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे विद्वान प्रवक्ताओं में डॉक्टर बृजेश दीक्षित जबलपुर ,धर्माधिकारी राजेंद्र प्रसाद शास्त्री ,रामनरेश शास्त्री ,हरिदास शास्त्री ,सुदामा शास्त्री, नर्मदा प्रसाद रामायणी ,मंच का सफल संचालन सुरेंद्र शास्त्री द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम में पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा, पूर्व विधायक देवेंद्र पटेल ,केशव पटेल ,अरविंद दीक्षित ,कृपाल सिंह रघुवंशी ,भगवान सिंह रोसरा ,अखिलेश परमार, देवी ,डॉक्टर देवेंद्र धाकड़ ,संतोष समेले, राकेश पालीवाल ,राधेश्याम राजपूत, आदि ने कथा श्रवण कर महा आरती में भाग लिया, कार्यक्रम में 25 करोड़ राम नाम लेखन को नित्य राम नाम बैंक पचामा में स्थापित कर पूजा आरती की गई, कार्यक्रम के आखिर में कार्यक्रम के संयोजक चतुर नारायण रघुवंशी द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया ।