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रायसेन श्रीरामकथा:: गुरु की महिमा जानना है तो अंतरण को शुद्ध करो तभी गुरु की महिमा को जान पाओगे – पंडित मुरलीधर जी महाराज

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श्री राम कथा के छठवें दिवस सोमवार को सीता स्वयंवर एवं परशुराम लक्ष्मण संवाद राम सीता विवाह की मनभावन कथा को सुनने के लिए बड़ी तादाद में पहुंचे श्रद्धालु

सांची विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी एवं सिलवानी के विधायक देवेंद्र पटेल भी राम कथा सुनने के लिए दशहरा मैदान पहुंचे

सी एल गौर रायसेन

रायसेन। श्री राम कथा आयोजन समिति के तत्वाधान में आयोजित हो रही श्री राम कथा के छठवें दिवस सोमवार को सुप्रसिद्ध राम कथा वाचक पंडित मुरलीधर जी महाराज ने अपने श्री मुख से तुलसीकृत रामायण जी के मनभावन प्रसंग सीता स्वयंवर राम सीता विवाह एवं परशुराम लक्ष्मण संवाद की बहुत ही आकर्षक कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कथा में मौजूद हजारों श्रोताओं को बताया।

रामायण और श्री राम चरित्र मानस में जिस प्रकार से गोस्वामी तुलसीदास जी ने गुरु की महिमा का बखान किया है उसे विस्तार से बताते हुए गुरु महिमा पर आधारित आशीर्वचन बोलते हुए महाराज श्री ने कहा कि जीवन में गुरु का बड़ा महत्व है गुरु से बड़ा कोई नहीं अगर मनुष्य अंतःकरण शुद्ध करले तो उसे गुरु की वास्तविकता के बारे में ज्ञान हो जाएगा कि गुरु की क्या महिमा है गुरु की महिमा को वेद और पुरान ने भी गाया है।

श्री राम कथा का सौंदर्य वर्णन करते हुए महाराज श्री ने जनकपुरी में राजा जनक द्वारा आयोजित किए गए सीता स्वयंवर की कथा सुनाते हुए कहा कि जब जनक जी ने अपनी बेटी सीता के विवाह के लिए धनुष यज्ञ का आयोजन रखा तो उसमें देश-विदेश के दूर-दूर से करीब 10 हजार राजा महाराजा शिव के धनुष को तोड़ने के लिए स्वयंवर में पहुंचे थे राजा रावण और बाणासुर जैसे महा योद्धा भी सीता जी से विवाह करने के लिए पूरी ताकत के साथ धनुष को तोड़ने की कोशिश की परंतु धनुष तोड़ने की बात तो दूर बड़े-बड़े राजा महाराजा धनुष को हिला नहीं सके। जनकपुरी में लगी इस महासभा में जब बड़े योद्धा धनुष को नहीं तोड़ पाए हैं तो जनक जी महाराज चिंतन में पड़ जाते हैं और सोच विचार करते हुए भरी सभा में रहते हैं कि बड़े-बड़े राजा महाराजा धनुष को नहीं तोड़ पा रहे हैं तो फिर धनुष को कौन तोड़ेगा क्या मेरी बेटी सीता का विवाह हो पाएगा या नहीं। इस प्रकार से जनक जी विचार करते हैं वहीं दूसरी तरफ गुरु विश्व बाबा मित्र के साथ दोनों राजकुमार राम और लक्ष्मण बैठे होते हैं वह सब जान रहे हैं की राजा जनक जी के मन में क्या विचार चल हैं, जनक जी बोले की मुझे लगता है कि शायद पृथ्वी पर ऐसा कोई वीर नहीं है जो की धनुष को तोड़ दे मुझे तो सारी पृथ्वी खाली नजर आ रही है। इस प्रकार के वचन जब राम जी के भ्राता लक्ष्मण जी ने सुने तो वह सभा में उठकर खड़े होते हैं और कहते हैं कि है राजन आपने ऐसे कैसे इतनी बड़ी बात कह दी कि पृथ्वी वीरों से खाली है अगर गुरु जी और बड़े भाई मुझे आज्ञा दें तो आप तो धनुष तोड़ने की बात कह रहे हैं मैं सारा ब्रह्मांड भी उठा सकता हूं और जल को थल और थल को जल में परिवर्तन कर सकता हूं इस प्रकार से लक्ष्मण जी के कठोर वचन सुनकर गुरु विश्वामित्र उन्हें बैठने का इशारा करते हैं इसी दौरान गुरु विश्वास मित्र को प्रणाम करते हुए मन में गुरु का स्मरण कर खड़े होते हैं और धनुष को उठाकर दो टुकड़े कर देते हैं ।जैसे ही भगवान राम ने धनुष तोड़ा तो जनकपुरी में आयोजित सीता स्वयंवर में भगवान श्री राम के जय जयकार गूंज उठे उसी तर्ज पर कथा पंडाल में भी जैसे ही महाराज जी ने सीता स्वयंवर की कथा सुनाई तो पूरे पंडाल में जय जय सियाराम के नारे गूंज मां होते हैं। महाराज जी ने राम कथा का वाचन करते हुए आगे कहा कि जैसे ही भगवान राम ने धनुष को तोड़ा तो इसकी आवाज पूरे ब्रह्मांड में हो जाती है और यह आवाज परशुराम जी तक पहुंचती है जैसे ही परशुराम जी को धनुष टूटने की खबर मिलती है तो परशुराम जी एकदम गुस्से में आ जाते हैं और कहते हैं कि इस धनुष को तोड़ने वाला कौन है किसने धनुष को तोड़ा है इधर लक्ष्मण जी परशुराम के क्रोध को देखते हुए खड़े हो जाते हैं और कहते हैं कि इस धनुष को हमने तोड़ा है कहिए आपका क्या कहना है परंतु परशुराम बहुत ही नाराज होते हैं इस प्रकार से लक्ष्मण जी और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है जिसे देखते हुए भगवान श्री राम उठते हैं और अपने छोटे भाई लक्ष्मण को समझाते हैं कि आप परशुराम जी से बहस ना करें और परशुराम जी से आग्रह करते हुए भगवान राम कहते हैं कि आप लक्ष्मण को छोटा बालक जानकार इसे माफ करने परंतु परशुराम जी वह मुश्किल मानते हैं तभी भगवान राम ने विनम्र भाव से परशुराम जी से आग्रह किया तो परशुराम जी भी इस मर्म को समझ गए की भगवान शिव के धनुष को तोड़ने वाला कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि सम परमात्मा राम है इस प्रकार से परशुराम जी वहां जाते हैं। जैसे ही धनुष राम तोड़ देते हैं वैसे ही पूरे जनक में भगवान राम की जय जयकार होती है सखियों में खुशी छा जाती है और धूमधाम के साथ भगवान राम जी के साथ माता सीता का विवाह होता है ।सखियां मनभावन मंगल गीत गाती है

इसी दौरान कथा का वाचन करते हुए महाराज श्री मुरलीधर जी महाराज ने भजन गाया कि,,,, झुक जइयो जरा रघुवीर लली मोरी छोटी सी,,,, इस भजन की मधुर तान पर कथा पंडाल में मौजूद हजारों श्रद्धालु भाव विभोर होने के साथ नाचने पर विबस हो उठे। महाराज श्री ने सीता स्वयंवर की अपने श्री मुख से बहुत ही सुंदर कथा का वर्णन करते हुए श्रोताओं को यह बात बताई की माता सीता से भगवान राम की काफी ऊंचाई थी जिससे माता सीता वरमाला डालने में असमर्थ हो रही थी परंतु लक्ष्मण जी ने राम को प्रणाम करते हैं तो इसी समय पता भी नहीं चला और माता सीता ने भगवान राम के गले में वर्णमाला पहना दी। इस सुंदर प्रसंग के बीच महाराज श्री ने अपनी मारवाड़ी भाषा में भजन गया कि चम चम चमके चुनरी ओ महाराज जी पांव में पायल बंधनी ओ महाराज जी इस भजन पर कथा पंडाल में मौजूद श्रद्धालुओं ने भाव विभोर होकर छिड़कना शुरू कर दिया जिधर देखो उधर श्री राम कथा के आयोजन में राम कथा के राम रस में भक्तगण डूबते नजर आए। राम कथा के दौरान महाराज श्री ने कहा कि मनुष्य को हरदम विनम्र भाव रखना चाहिए विनम्रता सबसे बड़ी पूंजी है क्योंकि वीर वही होता है जिसमें विनम्रता का भाव और यही कारण है कि परमात्मा राम ने विनम्रता पूर्वक अपना जीवन चरित्र हमारे लिए बताया है और विनम्रता के कारण उन्होंने से उन्होंने धनुष को तोड़ते हुए सबका मन जीता है इसीलिए मानव को विनम्रता का पालन करना चाहिए।

 

श्री राम कथा आयोजन समिति के प्रवक्ता सी एल गौर ने बताया कि राम कथा वाचक पंडित मुरलीधर जी महाराज बहुत ही सहज सरल महान संत हैं जो कि लगभग 25 वर्षों से लगातार देश और विदेश में श्री राम कथा का वाचन करते आ रहे हैं महाराज जी स्वयं अपने हाथों से भोजन बनाकर पाते हैं महाराज जी ने जोधपुर राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड , ऋषिकेश, हरिद्वार,महाराष्ट्र मुंबई ,दुबई, इंदौर सहित देश भर में सैकड़ो राम कथाएं गायन की है।ऐसे महान संत का आगमन इस रायसेन की पवित्र भूमि पर हुआ और यहां की जनता को राम रस का रसपान कर रहे हैं यह रायसेन वासियों के लिए सौभाग्य की बात है ।श्री राम कथा के मुख्य जीजमान सेठ चंद्र मोहन गोयल आयोजन समिति के अध्यक्ष हैं इनके अलावा कार्यकारी अध्यक्ष अजय गोहिल,अशोक गुप्ता, प्रमोद कांकर, मनोज सोनी,शक्ति सिंह बघेल, श्याम अग्रवाल , छोटे राम विश्वकर्मा, निलेश सहित सभी सहयोगियों द्वारा राम कथा के आयोजन में सहयोग किया जा रहा है श्री राम कथा में प्रतिदिन हजारों की तादात में श्रद्धालु राम कथा का श्रवण करने दशहरा मैदान पहुंच रहे हैं कथा का आयोजन 19 सितंबर तक चलेगा।

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