-प्रीति योग में है अमावस्या
वैशाख अमावस्या के दिन शनिवार होने के कारण शनि अमावस्या है। इसे शनिचरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हर माह के कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या होती है। इस तिथि को कृष्णपक्ष का समापन होता है और अगली तिथि से शुक्लपक्ष प्रारंभ होता है। इस बार शनि अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है, जो साल 2022 का पहला सूर्यग्रहण है। 30 अप्रैल को देर रात सवा बारह बजे से सूर्यग्रहण लगेगा। हालांकि भारत में आंशिकसूर्यग्रहण होने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा।
प्रीति योग में है अमावस्या
शनि अमावस्या के दिन 30 अप्रैल को प्रात: काल से ही प्रीति योग है। जो अपराह्न 03:20 तक रहेगा। उसके बाद आयुष्मान योग शुरू हो जायेगा। अश्विनी नक्षत्र भी रात 8:13 बजे तक है। यह योग व नक्षत्र मांगलिक कार्य के लिए शुभ माने जाते हैं। इसलिए जातक शनि अमावस्या के दिन सुबह से स्नान दान कर सकते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने से पूण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन पितरों की भी पूजा करते हैं। अमावस्या के दिन पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध कर्म रने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं।
शनि अमावस्या का महत्व
शनि अमावस्या के दिन कर्मफलदाता शनिदेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। सुबह स्नान और दान के बाद शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा करें और उनको काला या नीला वस्त्र, नीले फूल, काला तिल, सरसों का तेल आदि अर्पित करना चाहिए। साथ ही जरुरतमंदों के बीच छाता, जूते-चप्पल, उड़द की दाल, काला तिल, सरसों का तेल एवं शनि चालीसा का वितरण करना चाहिए।