कर्नाटक: JDS सांसद प्रज्वल रेवन्ना की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, अश्लील वीडियो मामले की जांच के लिए SIT गठित
कर्नाटक की हसन लोकसभा सीट से जनता दल सेक्युलर (JDS) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित ‘अश्लील वीडियो’ मामले की जांच एसआईटी करेगी. कर्नाटक सरकार ने रविवार को इस मामले की जांच के लिए आईपीएस अधिकारी विजय कुमार सिंह के नेतृत्व में सीआईडी विंग एसआईटी (विशेष जांच दल) का गठन कर दिया है. सरकार ने एसआईटी टीम से जल्द से जल्द जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी में डीजी सीआईडी सुमन डी पेन्नेकर और आईपीएस अधिकारी सीमा लाटकर टीम के सदस्य होंगे.
दरअसल, राज्य महिला आयोग को प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ महिलाओं से यौन उत्पीड़न की शिकायत मिली थी. इसके बाद महिला आयोग ने सीएम सिद्धारमैया और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर उचित जांच करने का अनुरोध किया था. इसके बाद सिद्धारमैया ने कहा कि वह मामले की जांच एसआईटी को सौंपेंगे. इसके बाद रविवार को कर्नाटक सरकार ने कथित वीडियो की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है और इस संबंध में आधिकारिक तौर पर आदेश भी जारी कर दिया है.
रेवन्ना के खिलाफ होल नरसीपुर में टाउन पुलिस थाने में दर्ज है केस
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ होल नरसीपुर टाउन पुलिस स्टेशन में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है. अभी तक पुलिस उस मामले की जांच कर रही थी, लेकिन अब मामले को एसआईटी हैंडओवर कर लेगी. जांच के लिए जो एसआईटी गठित की गई है वो सीआईडी डीजीपी की देखरेख में काम करेगी. सीआईडी एडीजीपी विजय कुमार सिंह के नेतृत्व वाली एसआईटी टीम में सहायक पुलिस महानिदेशक सुमन पेन्नेकर और मैसूर एसपी सीमा लाटकर सहित तीन एसपी और चार डीसीपी शामिल हैं.
घटना पर क्या बोलीं महिला आयोग की अध्यक्ष?
महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. नागलक्ष्मी चौधरी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि हसन में सामने आया अश्लील वीडियो वायरल का मामला गंभीर रूप ले चुका है. यह बहुत बड़ा अपराध है कि हजारों लड़कियों का वीडियो बनाया गया है. उन्होंने मांग की कि वीडियो बनाने वाले और वीडियो साझा करने वाले दोनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
महिला आयोग को मिली थी शिकायत
हसन के अश्लील वीडियो को लेकर कई महिला संगठनों और कार्यकर्ताओं ने महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है. इसकी संवेदनशीलता को समझते हुए तत्काल जांच का अनुरोध किया गया है. यह हजारों लड़कियों के जीवन और अस्तित्व का सवाल है. इसका न्याय होना चाहिए. यह मामला दूसरों के लिए उदाहरण बनना चाहिए. इस कार्य के प्रति जीरो टॉलरेंस है.’ इसे कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता. इस अपराध की सजा मिलनी चाहिए. नागलक्ष्मी चौधरी ने कहा, एक अनुमान के मुताबिक, इस मामले में लगभग 2,876 महिलाएं हैं.