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मथुरा में सजने लगा ठाकुर बांके बिहारी का ‘फूल बंगला’, जानें क्या है मान्यता और इतिहास

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ब्रज भूमि भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली है. यहां का कण-कण कान्हा की अठखेलियों का गवाह है. 84 कोस की ब्रज यात्रा हो या फिर यहां के तीज त्योहार सभी को मनाने का अलग ही अंदाज है. बदलते मौसम यहां की भक्ति में बदलाव लेकर आते हैं. हर ऋतु ब्रज में आने वाले भक्तों को आनंदित कर उन्हें बदलते मौसम का संकेत देती है.

शीत ऋतु के बाद अब ग्रीष्म ऋतु लग गई है. नन्द के लाल को गर्मी से बचाने की कवायद को लेकर श्री कृष्ण की पावन नगरी मथुरा के वृंदावन के सुप्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में फूल बंगला सजना शुरू हो गया है. यह फूल बंगला 100 दिन से अधिक सजेगा. इसी फूल बगंले से भगवन अपने भक्तों को दर्शन देंगे. आइए जानते हैं, इस फूल बंगले को क्यों सजाया जाता है और इसकी शुरुआत कब हुई.

जानें वृंदावन नगरी को

फूल बंगले से पहले आइए जानते हैं ब्रज की उस नगरी को जिसमें आने के लिए हर भक्त लालायित रहता है. इस प्राचीन और पावन नगरी को वृंदावन कहा जाता है. भक्त इसे बड़े ही आदर से वृन्दावन धाम कहकर पुकारते हैं. वृंदावन वो पवित्र नगरी है जो भगवान श्री कृष्ण की नटखट लीलाओं को समेटे हुए है. राधा-कृष्ण की प्यारी वृंदावन नगरी UP के मथुरा जिले में बसी हुई है. यहां भगवान श्री कृष्ण के अनगिनत मंदिर हैं. बांके बिहारी मंदिर

बांके बिहारी मंदिर का इतिहास

पावन नगरी वृंदावन में नटखट कान्हा के कई मंदिर हैं लेकिन इनमें से एक विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर कुछ खास है. हालांकि, हर मंदिर की अपनी अलग ही मान्यता और विशेषता है. यहां ठाकुर जी के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं इनमें विदेशों से आने वाले श्रद्धालु भी शामिल हैं. इस मंदिर का इतिहास काफी रोचक है. यहां भक्तों का उमड़ता सैलाब भगवान के प्रति आस्था को दर्शाता है. कहते हैं मंदिर का निर्माण राजस्थानी वास्तुकला में श्रीकृष्ण के परम भक्त स्वामी हरिदास ने 1864 में कराया था. साल 1921 में स्वामी हरिदास जी के अनुयायियों ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था.

ऐसे प्रकट हुई थी ठाकुर जी की प्रतिमा

विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी की विशेष प्रतिमा है. इसके दर्शन के लिए लाखों भक्तों का हुजूम उमड़ता है. खास मौकों पर श्रद्धालुओं की भीड़ इतनी हो जाती है कि पूरी नगरी में पैर रखने को जगह नहीं बचती. मंदिर के मुख्य सेवायत आशीष गोस्वामी बताते हैं कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में रखी ठाकुर जी की प्रतिमा भगवान की महिमा से प्रकट हुई थी.

दरअसल, स्वामी हरिदास को भगवान श्री कृष्ण से बड़ा लगाव था. वह हमेशा कृष्ण भक्ति में डूबे रहते थे. वह निधिवन में भगवान की भक्ति में लीन रहते थे. एक दिन उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए. दर्शन देने के लिए भगवान श्री कृष्ण निधिवन में काले रंग की मूर्ति में प्रकट हुए. काफी दिनों तक स्वामी हरिदास ने निधिवन में भगवान की उस चमत्कारिक मूर्ति की पूजा की. बाद में उन्होंने मंदिर का निर्माण कराकर मूर्ति की वहीं स्थापना कराई.

फूल बंगला का इतिहास

मंदिर में गर्मी के मौसम की शुरुआत होते ही फूल बंगला सजाया जाता है. फूल बंगला 100 दिन से ज्यादा सजाया जाता है. हर दिन कई कुंतल देसी व विदेशी फूलों से फूल बंगले को सजाया जाता है. कामदा एकादशी से बांके बिहारी मंदिर मदन फूल बंगला सजाया जाता है. आशीष गोस्वामी बताते हैं कि फूल बंगला सजाने की शुरुआत स्वामी हरिदास जी ने ही की थी. ठाकुर जी को गर्मी से बचाने और शीतलता पहुंचाने के लिए फूल बंगले की शुरुआत की गई थी.

इसलिए सजता है फूल बंगला

आज यानी 19 अप्रैल से ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के फूल बंगले बढ़ाना प्रारंभ हो गया. आशीष गोस्वामी ने बताया कि यह फूल बंगला 4 अगस्त तक लगाया जाएगा. इसी फूल बंगलों में ठाकुर जी विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे. वह बताते हैं कि गर्मी का मौसम प्रारंभ हो चुका है और भगवान ठाकुर बांके बिहारी महाराज को गर्मी लगती है. गर्मी में शीतलता प्रदान करने के लिए ठाकुर जी के लिए फूल बंगले का आयोजन किया जाता है.वहीं, ठाकुर जी को कपड़ों की पोशाक न पहनाकर फूलों की पोशाक धारण कराई जाती है. ठाकुर बांके बिहारी महाराज फूल बंगला में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देते हैं और गर्भ ग्रह से जगमोहन में विराजमान होते हैं.

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