चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में रामनवमी का पावन उत्सव पूरे देश में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम की विशेष पूजा करने से साधक के जीवन से सभी दुख-दर्द और संकट दूर हो जाते हैं। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी। नवमी तिथि का समापन 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 15 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर राम नवमी का त्योहार 17 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। भगवान राम अयोध्या के राजा दशरथ और महारानी कौशल्या के पुत्र थे। भगवान श्रीराम को विष्णु जी का 7वां अवतार माना जाता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन ही प्रभु श्री राम का जन्म हुआ था। भगवान राम के आने से मां कौशल्या और राजा दशरथ के आंगन समेत पूरी अयोध्या खिल उठी थी। आज भी अयोध्यी में राम जन्मोत्सव बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है। राम नवमी के दिन समस्त राम मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार माने जाते हैं।
शुभ मुहूर्त
- चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आरंभ- 16 अप्रैल को दोपहर में 1 बजकर 23 मिनट से
- चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि समाप्त- 17 अप्रैल को दोपहर में 3 बजकर 14 मिनट पर
- राम नवमी 2024 तिथि- 17 अप्रैल 2024
- राम नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त – 17 अप्रैल को 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 21 मिनट तक
राम नवमी का ही वो पावन दिन था जब कौशल्या नंदन का जन्म हुआ था। राम नवमी के दिन मंदिर और घरों में रघुनंदन की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। राम नवमी के दिन प्रभु श्री राम के साथ मां सीता , लक्ष्मण जी और बजरंगबली की भी पूजा करने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है। राम नवमी के दिन राम का नाम कागज पर लिखने से कई गुना शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं बता दें कि राम नवमी के दिन दूर-दराज से भक्तगण राम जन्मभूमि अयोध्या आते हैं।