रायसेन।आजादी के अमृत महोत्सव में सशक्त भारत का निर्माण के लिए पूणे से चलकर 100 सदस्यीय शौर्य दल आज सुबह 6 बजे रायसेन किले पर पहुंचा जहां इस दल का रायसेन वासियों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया और ऐतिहासिक किले की गाथा की जानकारी दी बहीं कोरोना गाइड लाइन का भी पालन किया गया।
Vo1-यह दल भारत वर्ष की गौरवशाली वीर परम्परा की साक्ष देने वाले पानीपत की तीसरे महायुद्ध का प्रेरणादायी हातात्म्य गाथा का कृतज्ञता जागरण अभियान है।यह दल विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों से होता हुआ पानीपत पहुंचेगा।इस शौर्य दल के मार्ग में ऐतिहासिक स्थल रायसेन एवं साँची को भी चुना गया था।इस अवसर पर रायसेन दुर्ग पर बड़ी संख्या में रायसेन नगर के लोग एकत्रित हुए शौर्य दल को रायसेन जिले और रायसेन दुर्ग से परिचय कराने के लिए भारतीय इतिहास संकलन समिति के जिला अध्यक्ष डॉक्टर एच बी सेन द्वारा किले का ऐतिहासिक परिचय कराया और इसका संकलन अतुल कृष्ण दुबे ने किया।बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों नगर के गणमान्य लोग इस अबसर पर किले पर उपस्थित रहे।
आपको बता दे कि मुगलकाल मे 6 मई 1532 ई. को रायसेन दुर्ग पर जौहर की ज्वाला धधक उठी थीं और रानी दुर्गावती सहित 700 राजपूत स्त्रियों ने मिलकर अपने बच्चों के साथ अग्नि कुण्ड में अहुतकर जौहर कर लिया। उनका यह बलिदान प्रेरणा का स्त्रोत है जिसे हम कभी भुला न पाऐंगे।आइए इस बलिदान को *आजादी के महोत्सव* में यादकर उनको श्रांध्दांजली अर्पित करें और इस महोत्सव के भागीदारी बनें।