-महाराज नाभिराय महारानी मरुदेवी के यहां हुआ आदि तीर्थंकर का जन्म
-सौधर्म इंद्र का सिंहासन कंपायमान हुआ जन्माभिषेक व घटयात्रा
सुरेन्द्र जैन रायपुर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के समीप धर्म नगरी तिल्दा नेवरा में बर्तमान के वर्धामान परम पूज्य संत शिरोमणी आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महामुनिराज जी के ससंघ सानिध्य व प्रतिष्ठाचार्य वाणी भूषण बाल ब्रह्मचारी विनय सम्राट भैया जी के प्रतिष्ठाचार्यत्व में श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिनबिंब प्रतिष्ठा के चतुर्थ दिवस आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ स्वामी का जन्म कल्याणक मनाया गया ।
अयोध्या के चौदहवें कुलकर राजा नाभिराय व महारानी मरुदेवी के यहां होने वाले तीर्थंकर बालक का जैंसे ही जन्म होता है स्वर्ग लोक में सौधर्म इंद्र का सिंहासन कंपायमान हो उठता है और उन्हें आभास हो जाता है कि भोगभूमि पर होने वाले आदि तीर्थंकर का जन्म हो चुका है वह होने वाले आदि तीर्थंकर के शिशु रूप में सर्वप्रथम दर्शन करने भोगभूमि की अयोध्या नगरी में महाराज नाभिराय के यहां पहुचते हैं लेकिन कोई भी पुरुष वहां जा नहीं सकता ईंसलिये उन्हें द्वार पर ही मां मरुदेवी की सेवा में लगी देवियां रोक देती हैं तब उनकी पत्नी देवी सची अंदर जाती हैं और होने वाले तीर्थंकर के शिशु को बाहर लेकर आती हैं आदि तीर्थंकर आदिनाथ भगवान के शिशु रूप में दर्शन पाकर सौधर्म इंद्र स्वयं को धन्य मानते हैं वाणी भूषण बाल ब्रह्मचारी विनय सम्राट भैया जी के मुखारबिंद से आदि तीर्थंकर के जन्म कल्याणक का मंच पर मंचन होता है आदि तीर्थंकर के जन्म की की तीनों लोकों में खुशियां मनाई जाती हैं भोगभूमि पर सभी के दुख दर्द सब स्वतः दूर हो जाते हैं ।
जन्म कल्याणक पर भव्य घटयात्रा
अयोध्या रूपी सात दिवसीय धर्म नगरी में आदि तीर्थंकर का जन्म होते ही उनके जन्म की खुशी में अष्ट देवियां सर पर मंगल कलश लिए घटयात्रा निकालती हैं घटयात्रा में आदि तीर्थंकर के जन्म कल्याणक की खुशी में झूमते गाते भक्ति में लीन होकर महिलाएं व बालिकाएं चलती हैं नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए घटयात्रा महामहोत्सव स्थल पर वापस आती है।
पांडुक शिला पर हुआ जन्माभिषेक
आदि तीर्थंकर के जन्म कल्याणक में पांडुक शिला पर आदि तीर्थंकर का जन्माभिषेक सौधर्म इंद्र व अन्य सभी इंद्र करते हैं ब्रह्मचारी विनय सम्राट भैया जी के मुखरबिंद से जन्माभिषेक पाठ का वाचन संगीत की मधुर ध्वनि के साथ होता है ओर सभी शुद्ध धोती दुपट्टा धारण किये इंद्र इंद्राणी आदि तीर्थंकर प्रभु का जन्माभिषेक करते है आदि तीर्थंकर के जन्मकल्याणक पर उन्हें पालना झुलाने की धार्मिक क्रियाएं भी होती है।
आचार्यश्री की आहारचर्या
मंगलवार को आचार्यश्री का पड़गाहन कर आहार दान करने का शौभाग्य पंचकल्याणक में राजा श्रेयांश एवं राजा सौम्या बने तिल्दा नेवरा के नायक परिवार को प्राप्त हुआ।
तिल्दा नेवरा अशोक कुमार जैन महा संरक्षक अमित कुमार जैन एवं अतुल कुमार जैन रियांश जैन तनिष्क जैन किरण बाला जैन राशि जैन राखी जैन आरणा और आरोही परिवार ने आचार्यश्री को आहारदान का पुण्य प्राप्त किया।
सभी वर्गों का सहयोग
पंचकल्याणक जिनबिंब प्रतिष्ठा महामहोत्सव में सभी वर्ग के लोग जैन समाज का कांधे से कांधा मिलाकर सहयोग कर रहे हे।