उमरिया/सिवनी/कटनी। टाइगर डे पर शनिवार को देशव्यापी बाघ गणना के आंकड़े जारी होंगे, जिसमें मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा बाघ बांधवगढ़ में बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। आंकड़ों के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में एक बार फिर बांधवगढ़ ग्रोथ रेट के मामले में अव्वल रहा है। सिवनी के पेंच में भी भौगोलिक परिस्थितियां अनूकूल होने से बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कटनी के बरही में भी पिछले कुछ सालों से बाघों का मूवमेंट बढ़ा है, विशेषज्ञ इसका कारण शांत वातावरण को बता रहे हैं।
2018 की जनगणना में बांधवगढ़ रहा प्रदेश में अव्वल
वर्ष 2018 की गणना में भी बांधवगढ़ बाघों की ग्रोथ रेट में प्रदेश में अव्वल रहा। रिजर्व के अंदर ही 150 से ज्यादा बाघ होने की संभावना है। आसपास के जंगलों में 20 से ज्यादा बाघ होने की संभावना है, इनकी गिनती भी बांधवगढ़ में आती है। इस तरह अकेले बांधवगढ़ और इससे लगे जंगल में ही पिछले 4 साल में लगभग 50 बाघों के बढ़ने की संभावना बनी हुई है।
पेंच में बाघों की जीवन रेखा बना कारीडोर
विविधता से भरे पेंच राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। साल 2022 में अखिल भारतीय बाघ गणना का परिणाम इसी साल 9 अप्रैल को जारी किए थे। साल 2018 के मुकाबले कैमरा ट्रेप में 200 से ज्यादा बाघों की बढ़ोत्तरी देशभर में दर्ज की थी। मध्य भारत क्षेत्र में बाघों की संख्या बढ़ाने में मध्यप्रदेश का सिवनी पेंच राष्ट्रीय उद्यान का अहम योगदान रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बाघों का कुनवा बढ़ाने में अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों ने पेंच राष्ट्रीय उद्यान को देश-विदेश में ख्याति दिलाई है। पेंच टाइगर रिजर्व की सभी 109 बीट के साथ ही सामान्य वन क्षेत्र की करीब 40 से ज्यादा बीट में बाघों की मौजूदगी के साक्ष्य गणना के दौरान मिले थे। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि पेंच लैंड स्केप में बाघों की संख्या एक सौ को पार कर सकती है। 2018 की गणना में रिजर्व में 53 बाघ जबकि 2019 में इनकी संख्या 65 बताई गई थी। इसके अलावा अवयस्क शावकों की संख्या 25 से 30 होने का अनुमान है। ऐसे में गणना के नए परिणाम चौकाने वाले होंगे। पेंच लेंड स्केप में बाघों की संख्या एक सौ के पार होने की उम्मीद है।
बांधवगढ़ के बाघों को भा रहा बरही का जंगल
बांधवगढ़ में बढ़े बाघों के कुनबे को टाइगर रिजर्व क्षेत्र के साथ ही बफर जोन से लगे कटनी का बरही वन क्षेत्र का जंगल भी भा रहा है। पिछले तीन-चार साल से सालभर तहसील के एक दर्जन गांवों में बाघों की चहलकदमी रहती है। बाघिन अपने शावकों को बाघों से बचाने के लिए बरही क्षेत्र के जंगलों को सुरक्षित मानती है। कई बार क्षेत्र में बाघिन को अपने शावकों के साथ घूमते देखा गया है, तो एक बार दो शावकों को बाघिन गांव के नजदीक छोड़कर चली गई थी। वर्तमान में भी बरही के कुआं और कुठिया महगवां के आसपास बाघों की चहल-कदमी बनी रहती है।
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