रायबरेली के खगियाखेड़ा गांव के कई परिवारों के लिए बुधवार सुबह का उजाला जीवन भर के लिए अंधेरा साबित हो गया। बेकाबू डंपर ने छह लोगों को रौंद दिया। हादसे में चार लोग जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। एक साथ गांवों में छह मौतों से हर कोई स्तब्ध दिखा। जिस समय हादसा हुआ, उस समय लोग सोकर उठे। ठंड की वजह से कुछ रजाई में ही थे। इसी बीच मनहूस खबर आई तो लोग बदहवास से सड़क की ओर दौड़ पडे़। लोग पहुंचे तो सिर्फ चीख-पुकार की आवाजें ही आ रहीं थीं। अपनों को खोने का गम उनके बहते आंसुओं में साफ दिख रहा था। गांव के लोग ढांढस बंधाने पहुंचे मगर अपने ही आंसू नहीं रोक पा रहे थे। हादसे के कारण गांव के कई घरों में चूल्हा भी नहीं जला।
खगियाखेड़ा गांव की रहने वाली दिव्यांग शिवानाथा ने बताया कि पति ललई (65) बेटे श्रवण के साथ मिलकर चाय की दुकान चलाते थे। कहा था कि सर्दी ज्यादा है। जल्द दुकान बंद करके घर आ जाऊंगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हादसे ने उन्हें छीन लिया। बेटा भी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। ललई के परिवार में पत्नी के अलावा बेटे राजेश, श्रवण, पुष्पेंद्र और बेटी अनामिका (16), प्रिया (14), श्रेया (12) हैं। इसमें राजेश व श्रवण की शादी हो चुकी है। बाकी लोग अविवाहित हैं। शिवानाथा ने बताया कि चाय की दुकान और खेती से परिवार चलता था।
हादसे में जान गंवाने वाला लल्लू मूलरूप से उन्नाव जिले के मवई गांव का रहने वाला था। वह अपनी ससुराल खगियाखेड़ा में काफी समय से रहता था। वह खेती कर परिवार चला रहा था। घर पर पत्नी के अलावा बेटा राज (15), बेटी सपना (20) हैं। सपना ने बताया कि पिता जी ने कहा था कि ललई की दुकान पर चाय पीने जा रहा हूं। जल्द लौट आऊंगा। बताया कि गांव के कई लोग चाय की दुकान पर बतकही के लिए जुटते थे। काफी देर तक इंतजार किया, लेकिन पिता नहीं आए। मनहूस खबर आई। घटनास्थल पर पहुंची तो पिता की मौत हो चुकी थी। घर की खुशियां चली गईं।
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