हेमेन्द्रनाथ तिवारी उज्जैन
परंपरानुसर देवउठनी ग्यारस को देव जागरण के बाद चतुर्दर्शी के महासंयोग में भोलेनाथ अर्थात बाबा महाकाल ने श्रृष्टि संचालन के लिए द्वारकाधीश को पुनः का भार सौपा जिसे”हरिहर मिलन” कहा जाता है।
“हर” भगवान महाकाल, “हरि” द्वारकाधीश को पुनः सृष्टि का भार सौपा।
राजशाही ठाठ-बाट से हुआ “हरि” का “हर” से मिलन, सवारी मार्ग पर हुई भव्य आतिशबाज़ी।
भूत भावन राजाधिराज बाबा महाकाल ने सृष्टि का भार सौपते वक्त अपनी ओर से भगवान श्री द्वारकाधीश को “बेलपत्र की माला” भेंट की तो व्यवहारिक दृष्टि और परंपरा का निर्वहन करते हुए भगवान श्री द्वारकाधीश ने “तुलसी की माला” भूत भावन राजाधिराज बाबा महाकाल को भेंट की। इस दौरान गोपाल मंदिर क्षेत्र में बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस पल को निहारने पहुंचे इस दौरान जमकर आतिशबाजी भी हुई।