अधूरे निर्माण कार्य का जिम्मेदार कौन?
अभिषेक असाटी बक्सवाहा
पंचायतों में विकास विकास की धारा को बहाने के लिए संविधान में संशोधन करते हुए 73 वां संविधान संशोधन को नसेनी स्वरूप जोड़ा गया. जिससे पंचायती राज में विकास हो सके और स्थानीय स्तर के लोग ग्रामसभा के माध्यम से अपनी पंचायत क्षेत्र के विकास में स्वयं ही भागीदार बने परंतु सत्य तो यह है साहब! कि पंचायतों को भले ही आजादी के बाद से अब तक कितने ही अधिकार क्यों ना दिए गए हों. परंतु हकीकत में वह बौने साबित होते हैं, इसके लिए जिम्मेदार या तो पंचायतों की वित्तीय समस्या को कहें अथवा भ्रष्टाचार को, या फिर जिम्मेदार अधिकारियों की निरंकुशता को कहा जाए। परंतु सत्य यही है कि पंचायतों का विकास महज औपचारिकता दिखता है।
मामला छतरपुर जिले के बक्सवाहा जनपद क्षेत्र का है जहां पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी कहें या काम के प्रति सजग ना रहने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमानी काहें, परंतु मोटा आंकड़ा है कि जनपद क्षेत्र की 39 पंचायतों में 3422 विकास कार्य अधूरे पड़े हुए हैं।
भर्रेशाही में चल रही पंचायतें
असल स्थिति यह है कि पंचायतों में विकास की दीवार ही इस कदर खड़ी की जाती है कि अधूरे विकास को पूरा दर्शा कर पैसों का पूरा हस्तांतरण हो जाता है, हालांकि बक्सवाहा क्षेत्र की पंचायतों में चल रहे निर्माण कार्यों के अधिकांश आंकड़ों पर नजर डालें तो सर्वाधिक कैरवारा में 192, देवपुर में 185, मढ़देवरा में 178, चाचई सेमरा में 165, चौराई में 160 एवं जैतुपुरा में 160 कार्य अधूरे पड़े हुए हुए है। बाकी सबसे कम कार्य पाली पंचायत में 16 अधूरे पड़े हुए हैं. इसके अतिरिक्त सभी 39 पंचायतों में कार्य अधूरे पड़े हुए हैं।
इनका कहना है कि…
“अधूरे पड़े कार्यों की इतनी अधिक संख्या होने का एक कारण यह है कि एक ओर कार्य समाप्त होते हैं तो दूसरी ओर नवीन कार्य शुरू भी हो जाते हैं।
हमारे द्वारा प्रत्येक सोमवार को अधूरे पड़े कार्यों के संदर्भ में समीक्षा बैठक की जा रही हैं. जिसके जरिये हमारा प्रयास है कि अधूरे पड़े कार्यों को अतिरिक्त शीघ्र ही निपटाया जाये एवं लिए निर्देशित भी किया जाता है।”
–अमर बहादुर सिंह, जिला सीईओ छतरपुर