अहिरवार् संघ ने उच्चतम न्यायालय द्वारा एक अगस्त को दिये निर्णय को सविधान की मूल भावना के विपरीत बताकर राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग को लेकर दिया ज्ञापन
रायसेन। मप्र अहिरवार समाज संघ ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर् उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के संबंध में 01 अगस्त को दिए गए निर्णयों को भारतीय सविधान में दिए गए आरक्षण की मूल भावना के विपरीत बताया हे। संघ ने भारत के राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन् कलेक्टर को एक जुलुस के रूप में महामाया चौक से कलेक्ट्रेट पहुंचकर तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की हे।
ज्ञापन में कहा गया हे किमाननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के संबंध में 01 08 2024 को दिए गए निर्णयों की ओर दिलाना चाहते है। यह निर्णय भारतीय सविधान में दिए गए आरक्षण की मूल भावना के विपरीत है। भारतीय संविधान के अनुसार एससी/एसटी में उपवर्गीकरण का कोई प्रावधान / अनुच्छेद नहीं है। अनुच्छेद 341 एवं 342 की व्याख्या संविधान सम्मत नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने अनुच्छेद 341 एवं 342 में फेरबदल करके संविधान में संशोधन किया है जो कि उनकी शक्तियों में नहीं आता है। कीमीलेयर शब्द ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में लाया गया जो कि आर्थिक आधार पर दिया गया है। जबकि एससी/एसटी का आरक्षण संविधान के अनुसार सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन एवं पूना पैक्ट के आधार पर दिया गया है। हम इसमें आपके हस्तक्षेप की मांग करते है।
सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में जस्टिस के पदों में कोई आरक्षण नहीं है। इसलिए हम मांग करते हैं कि नैशनल ज्यूडिसिरी आयोग बनाया जाए तथा सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में एससी/एसटी/ओबीसी को उनकी जनसख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाए तथा कॉलजियम सिस्टम को तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।एससी/एसटी आरक्षण का अधिनियम लोकसभा में कई वर्षों से लम्बित है, उसे यथाशीघ्र पास करवाया तथा। हम जाति आधारित जनगणना की मांग करते है जिसका समाधा सभी राजनैतिक पार्टियां समर्थन करती हैं तथा जाति आधारित आंकड़ों के अनुसार सभी को उनकी संख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाये।
एससी/एसटी/ओबीसी के केन्द्र एवं राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों, निगमों, उपक्रमों में खाली पड़े लाखों पदों को स्पैशल ड्राईव चलाकर भरा जाये। सभी नीजिकरण एवं संवैधानिक संस्थानों में एससी/एसटी/ओबीसी की जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाये। लेटरल एण्टरी द्वारा नियुक्तियां रद्द की जाए। इनको संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरा जाए।एससी/एसटी/ओबीसी आयोग के सदस्यों को स्वतंत्र रूप से काम करने का मौका दिया जाए। उनके अध्यक्ष एवं सदस्यों का राजनैतिक इतिहास नहीं होना चाहिए।
इस मोके पर मप्र अहिरवार संघ के अध्यक्ष राजेश अहिरवार,डॉ धर्मेंद्र अहिरवार,भी मौजूद रहे।