• ‘अहंकार मुक्ति में बाधक होता है’
• चमत्कार के प्रदर्शन को अपराध मानते थे गौतम बुद्ध
• तीसरी शताब्दी में लिखा गया था जातक अट्ठ कथाओं को
• ‘पूरा ग्रंथ ही मैनेजमेंट पर आधारित है’
• SAIL से रिटायर्ड इंजीनियर का व्याख्यान
रायसेन/भोपाल। सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में आज बुद्ध की जातक कथाओं के माध्यम से मैनेजमेंट(प्रबंधन) को समझने का प्रयास किया गया।
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के रिटायर्ड मेटलर्जीकल इंजीनियर डॉ. जसबीर सिंह चावला ने विश्वविद्यालय के बौद्ध दर्शन के छात्रों को ‘जातक अट्ठ कथाओं में प्रबंध शास्त्र’ के माध्यम से बताया कि तीसरी शताब्दी में बुद्ध घोष ने इस ग्रंथ को लिखा था। इस ग्रंथ के माध्यम से जातक कथाओं की समस्त 547 कथाओं को व्याख्यायित कर दिनचर्या में कैसे मैनेजमेंट किया जा सकता है यह बताया था। यह ग्रंथ पाली भाषा में लिखा गया था जिसका कि 1926 में हिंदी में अनुवाद किया गया था।
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए सांची विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि गौतम बुद्ध मानते थे कि चमत्कार से अहंकार का प्रदर्शन होता है और यह अहंकार ही मुक्ति में बाधक होता है और इससे आध्यात्मिक प्रगति रुक जाती है। यहां तक कि अहंकार को उन्होंने अपराध की श्रेणी में सम्मिलित किया था और दूसरों को पीड़ा से मुक्त करना ही बोधिसत्व है। उन्होंने बताया कि जातक कथाएं दरअसल बुद्ध के पूर्व जन्म की कहानियां हैं।
डॉ. जसबीर के अनुसार जातक अट्ठ कथाओं में लिखी हर कथा में एक बोधिसत्व के माध्यम से प्रबंधन को स्पष्ट किया गया है। उनका दावा है कि दुनिया की पहली मैनेजमेंट की किताब जातक कथाएं हैं। डॉ. जसबीर सिंह ने बताया कि कैसे बुद्ध ने जैतवन विहार में भिक्षुओं को चमत्कार
दिखाए जाने से वर्जित कर दिया था। इसके बाद जब उन्हें चुनौतियां दी गईं तो एक आम को ज़मीन पर गड़वा दिया जिससे की तत्काल ही 50 फीट ऊंचा बड़ा होकर उसमे फल लगने लगे।
प्रो. लाभ ने कहा कि सांची विश्वविद्यालय जातक कथाओं के के माध्यम से मिलने वाले मैनेजमेंट के पाठ को एप्लाइड बौद्धिज़म के पाठ्यमक्रम को डिज़ाइन कर उसमें सम्मिलित करेगा।
विश्वविद्यालय के डीन प्रो. नवीन कुमार मेहता ने कहा कि बुद्ध को समझने के लिए जातक कथाओं को समझना ज़रूरी है और जातक कथाओं को समझने के लिए बुद्ध को। उन्होंने कहा कि जातक कथाओं की सभी 547 कहानियों में जीवन का सार है।