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शरीर में जीव का रहस्य,शरीर नश्वर है आत्मा अनश्वर है-आचार्य श्री विद्यासागर महाराज

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सुरेन्द्र जैन रायपुर

संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि आप लोग जिस प्रकार अपनी फोटो खीचते हैं और प्रयास करते हैं कि फोटो अच्छी आये | इसी प्रकार आपका दूसरा और एक रूप है जिसे देखने का प्रयास करें | ये फोटो केवल ऊपर – ऊपर का है | यदि आप अपना बचपन, युवा, प्रौढ़, वृद्धा अवस्था और मरते समय का फोटो कि तूलना करते हैं तो आप देखेंगे कि बचपन से युवा अवस्था तक आपको अच्छा लगेगा और फिर आगे युवा से प्रौढ़ और वृद्धा अवस्था का फोटो ढलता हुआ दिखाई देगा | ऐसा परिवर्तन हमारे जीवन में दिखाई देता है | आप बिलकुल स्वस्थ्य है और एक दिन यदि कोई डॉक्टर आपको कह दे कि आपको असाध्य रोग होने वाला है तो आपके अन्दर हलचल मच जाती है | फिर इस रोग से बचने का उपाय करने लग जाते हैं ऊपर से तो फीट दीखते हैं परन्तु अन्दर से कमजोर पड़ जाते हैं | X-Ray द्वारा शरीर कि जाँच कि जाती है कि रोग अभी है कि नहीं यदि है तो किस श्रेणी में है या किस चरण या किस सीढि तक पंहुचा है | खुद उस X-Ray को देखेंगे तो कुछ समझ नहीं आता सिर्फ हड्डियाँ ही दिखाई देती है ऐसा लगता है कि यह मेरा ही है या किसी और तो नहीं है | सब कार्य के लिये मुहूर्त निकालते हो लेकिन अंतिम यात्रा का मुहूर्त कभी कोई नहीं निकालता है | चाहे गरीब हो या अमीर सबकी अंतिम यात्रा होती है | गरीब है तो कम लोग हो सकते हैं लेकिन अमीर है तो बहुत लोग होते हैं | आपका अस्तित्व क्या है आप किस लिये प्रसन्न हो रहे हो | आपका चेहरा प्रसन्नता में खिलता है और अप्रसन्नता में मुरझा जाता है | शव जहाँ रहता है वहाँ अपशगुन माना जाता है क्योंकि जब तक शव रहेगा तब तक उसके पास बैठकर रोते रहते है | डॉक्टर लोग खून, नाडी आदि चेक करते हैं | जब तक खून का सञ्चालन चलता है तब तक स्वस्थ्य रहता है | आत्मा में जो कर्म है आयु बंध है उतना ही जियेगा | संतो ने बताया है कि शरीर केवल हड्डियाँ, मांस, खून, मल आदि से बना है और यह सब आपका पर्सनल है | डॉक्टर, सहायक डॉक्टर, कम्पाउण्डर आदि ये सब शरीर और इसके अंग को तो मानते हैं लेकिन जीव को नहीं मानते है| विश्व प्रसिद्द डॉक्टर भी जीव के अस्तित्व को स्वीकार ही नहीं करते हैं | जबकि जीव (आत्मा) के रहते ही शरीर जिन्दा है और जीव के निकलते ही वह मृत हो जाता है | जीव का अस्तित्व अपने आप ही सिद्ध हो जाता है | विदेशों में केवल स्वर्ग को ही अंतिम माना है जबकि भारत ही एक मात्र देश है जहाँ पुनर्जन्म को माना जाता है | यही श्राध्य होता हैं क्योंकि इसमें हमारी श्रद्धा निहित होती है | यह जीव (आत्मा) का रहस्य है कि वह एक गति से दूसरी गति में आते जाते रहती है जब तक मोक्ष कि प्राप्ति न हो जाये | X-Ray से ज्यादा खतरनाक CT-Scan है जो X-Ray कि किरण से 1000 गुना हमारे शरीर को प्रभावित करती है | इसलिए बार बार CT-Scan करने के लिये मना किया जाता है | यह सब जानकार समझकर देखकर यह पता चलता है कि यह शरीर नश्वर है और आत्मा (जीव) अनश्वर है | आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य श्री मनोज – मोना जी जैन, श्री शरद – सुनीता जी जैन निवासी राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) परिवार को प्राप्त हुआ

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