सुरेन्द्र जैन रायपुर
डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि प्रकृति में कई प्रकार के पशु – पक्षी होते हैं | कुछ पशु पक्षी के विषय में कहा जाता है कि यह पंचेन्द्रिय होते हुए भी संज्ञी नहीं होते है किन्तु कुछ पशु है जिनका मन होते हुए भी उन्हें गधा कहा जाता है | कुछ विद्यार्थियों को भी विद्यालय में ऐसा सुनने को मिलता है कि तुमको यहाँ किसने प्रवेश दे दिया तुम्हे तो कुछ समझ में नहीं आता है इस प्रकार उसे तिरणा दी जाती है ताकि वह उससे तेज हो जाये | आप लोग भी घरों में ऐसे शब्दों का प्रयोग करते होगे ऐसा हमें लगता है | जब हम छोटे थे तो एक बार सर्कस देखने गए वहाँ कई प्रकार के पशु – पक्षी थे और उनमे एक गधा भी था जिसे सर्कस के बीच में लाया जाता है और उसके चारों ओर फलक के ऊपर कुछ शब्द और संख्या लिखी होती है उसके ऊपर कुछ आवरण डाल दिया जाता है | फिर कोई एक संख्या को पुकारा जाता है जिसे गधा सुनकर ढूँढता हुआ उसके बिलकुल सामने जाकर खड़े हो जाता है और उस संख्या के ऊपर लगे आवरण का अनावरण करता है | जिसे देख लोग आश्चर्यचकित हो जाते है | गधा अपनी भाषा तो समझता है और साथ में हमारी भाषा भी समझता है और लिखी हुई संख्या को भी समझता है | गधे को कौन से विद्यालय में भेजा गया | यह प्रशिक्षण गधे को किसने दिया उसे सिखाने वाला कौन है | उसकी एकाग्रता बहुत तीव्र थी | कुछ लोग हमारे पास आते हैं और कहते है महाराज यह मेरा लड़का है यह कुछ समझता नहीं है इसे आशीर्वाद दे दो | हम कहते है आप तो समझदार है फिर इसे समझदार क्यों नहीं बनाया | शब्द कोष में देखा तो उसमे एक शब्द था stupid जिसका अर्थ बुद्धु लिखा है उसे अज्ञानी नहीं कहा | उसे गधा नहीं stupid कहा slow है | धीमी – धीमी चाल है लेकिन चलता है | चलना आवश्यक है | जो जल्दी – जल्दी जानने वाला होता है वह होशियार है | होशियार विद्यार्थी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में अच्छे अंक ला लेता है परन्तु जब वह महाविद्यालय में जाता है और यदि उसका वहाँ कम अंक आ जाये तो वह टेंशन में आ जाता है, उदास हो जाता है, खाना – पीना छोड़ देता है, डिप्रेशन में आ जाता है | जबकि slow पढने वाला विद्यार्थी प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में ले – देकर पास होता है | लेकिन जब वह महाविद्यालय में जाता है और उसे पढने कि लगन लग जाती है तो वह slow पढने वाला भी अपने परीक्षा परिणाम से चमत्कृत कर देता है | एक व्यक्ति थे जिनकी कविता बड़े – बड़े महा विद्यालयों में पढाई जाती थी और वे बारहवी पास नहीं हुए और उनकी कविता महा विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हुई | अब बताओ यह कैसे हो गया | उनका नाम रविन्द्रनाथ टैगोर था ऐसा हमने कही सुना है | किसी को गधा कहना आज प्रचलन में आ गया है | इसलिए गधे के पास ज्ञान नहीं है ऐसा कहना ठीक नहीं है | वही के वही रहना अच्छी बात नहीं है | एक कक्षा में 3 वर्ष बिताना मतलब वह कहता है कि उसका अनुभव बढ़ रहा है | आगे बढ़ना जरुरी है चाहे धीरे – धीरे ही बढे | मुकमाटी के प्रसंग में लिखा गया है – गधा यानि गध का अर्थ रोग और हा का अर्थ हारक अर्थात जो रोग को हारक होता है उसे गधा कहते हैं | मुकमाटी का आसामी भाषा में अनुवाद करने से वहाँ के लोगो को इससे लाभ मिलेगा जिसके लिये बहुत मेहनत कि गयी है और इसका आसामी भाषा में संस्करण आपके सामने प्रस्तुत है | सर्वज्ञ बनने में देर नहीं लगती राग, द्वेष, मद, मोह आदि सबको हटा कर यदि दूसरे कि ओर ना देखा जाये तो यह संभव है | सर्वज्ञ बन सकते है | ज्ञान विकासशील हो और केवलज्ञान को प्राप्त करने वाले तीर्थंकरों को हमारा प्रणाम | आज आचार्य श्री को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य जिनको को प्राप्त हुआ जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ के चातुर्मास कलश स्थापना 2 जुलाई २०२३ दिन रविवार को होगी | क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है | यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है | यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |