विदिशा से अदनान खान की रिपोर्ट
फाल्गुन मास के शुभ अवसर पर शहर के बीच कागदीपुरा स्थित श्री बटेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं की मंदिर प्रांगण में भीड़ उमड़ी।कथास्थल पर मौजूद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथावाचक पंडित अंकितकृष्ण तेंगुरिया ने कहा कि धर्म और कर्म हमें निरंतर करते रहना चाहिए और इसी के लिए हमें मानव जीवन की प्राप्ति हुई है।महाराजश्री ने कथा में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया कि ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल
गया। बटुकजी महाराज ने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। साथ ही परिवार को बनाए रखने के लिए उन्होंने नारी शक्ति को नमन किया। कथा व्यास ने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है। उन्होंने कहा कि भागवत बताती है कि कर्म ऐसा करो जो निस्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है और सच्ची भक्ति के बिना ईश्वर का मिलना असंभव है। भगवान ने हमारे ऊपर बड़ी कृपा की है जो मनुष्य देह प्रदान की यदि मनुष्य रहते हुए भी हम भक्ति नहीं कर सकते तो मानव देह यूं ही व्यर्थ गवा देंगे। कथा के चौथे दिन सोमवार को भगवान श्री कृष्ण के अवतार की कथा पर प्रसंग होगी। इस अवसर पर भगवान के बाल रूप की एक सुंदर झांकी भी सजाई जाएगी जो आकर्षण का केंद्र रहेगी। महाराज श्री बटुक जी ने सभी श्रद्धालुओं से अपील की कि वह कृष्ण जन्म के अवसर पर पीले वस्त्र धारण कर कथा स्थल में पधारें। कथा के अंत में मुख्य मनोरथई दामोदर प्रसाद शर्मा ने सपरिवार व्यास गादी पर पूजा अर्चना की इस अवसर पर बटेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी कैलाश नारायण और आचार्य जनों ने मंत्रोच्चार के साथ आरती संपन्न कराई और प्रसादी का श्रद्धालुओं का वितरण किया गया।